जीएँ मसीहियों की तरह
प्यार होने से हम बहिष्कार के फैसले का साथ देंगे
अगर एक व्यक्ति अपने गलत कामों का पश्चाताप नहीं करता, तो उसका मंडली से बहिष्कार कर दिया जाता है। इससे मंडली की हिफाज़त होती है और उस व्यक्ति को एहसास दिलाया जाता है कि उसने कितनी बड़ी गलती की है। (1कुर 5:6, 11) यह सच है कि जब किसी का बहिष्कार होता है, तो उसके परिवारवालों और न्याय-समिति के भाइयों को बहुत दुख होता है। लेकिन प्यार होने से हम इस फैसले का साथ देंगे।
यहोवा से प्यार होने की वजह से हम पवित्रता के बारे में उसके स्तरों को मानते हैं और नहीं चाहते कि उसके नाम की बदनामी हो। इसलिए हम इस फैसले का पूरा साथ देंगे। (1पत 1:14-16) ऐसा करके हम दिखा रहे होंगे कि हमें उस व्यक्ति से भी प्यार है जिसका बहिष्कार किया गया है। यह सच है कि जब उसे सुधारा जाता है और उसके साथ सख्त कार्रवाई की जाती है, तो इससे सबको दुख होता है। मगर आगे चलकर इस फैसले की वजह से “शांति और नेकी पैदा होती है।” (इब्र 12:5, 6, 11) हमें ऐसे व्यक्ति से मेल-जोल नहीं रखना है जिसका बहिष्कार कर दिया गया है या जिसने खुद मंडली से नाता तोड़ लिया है। उससे मेल-जोल रखने से हम उसे सुधारने के काम में आड़े आ रहे होंगे। हमें याद रखना है कि यहोवा अपने सेवकों को सुधारने के लिए ‘उतनी ही फटकार लगाता है जितनी सही है।’ (यिर्म 30:11) तो आइए हम बहिष्कार के फैसले का पूरा साथ दें और कोशिश करें कि हम खुद ढीले न पड़ें बल्कि यहोवा की उपासना से जुड़े सारे काम करते रहें। साथ ही यह उम्मीद करते रहें कि एक दिन वह व्यक्ति यहोवा के पास लौट आएगा।—यश 1:16-18; 55:7.
पूरे दिल से यहोवा के वफादार बने रहिए वीडियो देखिए। फिर आगे बताए सवालों के जवाब दीजिए:
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