जीएँ मसीहियों की तरह
हमारी प्रार्थनाएँ यहोवा के लिए अनमोल हैं
जब हम यहोवा की मरज़ी के मुताबिक प्रार्थना करते हैं, तो हमारी प्रार्थनाएँ उस खुशबूदार धूप जैसी होती हैं जो रोज़ यहोवा के मंदिर में जलायी जाती थी। (भज 141:2) प्रार्थना करते वक्त हम यहोवा को बता सकते हैं कि हम उससे प्यार करते हैं और उसके एहसानमंद हैं। हम उसे अपनी चिंताएँ और परेशानियाँ बता सकते हैं और यह भी कि हम क्या चाहते हैं। हम उससे मार्गदर्शन भी माँग सकते हैं। जब हम यहोवा को यह सब बताते हैं, तो हम दिखाते हैं कि हम उसे अपना सबसे अच्छा दोस्त मानते हैं। सभाओं में जो छोटी-सी प्रार्थनाएँ की जाती हैं, उन्हें यहोवा स्वीकार करता है, क्योंकि वे हमारी उपासना का भाग हैं। लेकिन जब हम अकेले में दिल खोलकर और देर तक उससे बात करते हैं, तो उसे और भी ज़्यादा खुशी होती है।—नीत 15:8.
प्रार्थना करना मेरी आदत बन गयी वीडियो देखिए। फिर सवालों के जवाब दीजिए।
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भाई जॉनसन को किन-किन तरीकों से यहोवा की सेवा करने का सम्मान मिला?
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भाई जॉनसन ने किन-किन हालात में प्रार्थना करके यहोवा पर अपना भरोसा दिखाया?
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भाई जॉनसन के अनुभव से आपने क्या सीखा?