ध्यान रखें कि न खुद ठोकर खाएँ, न दूसरों को ठोकर खिलाएँ
ठोकर खाना या दूसरों को ठोकर खिलाना कितनी गंभीर बात है, इसे समझाने के लिए यीशु ने कुछ मिसालें दीं।
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‘ठोकर के पत्थर’ का मतलब है, ऐसे काम या हालात, जिनकी वजह से एक इंसान गलत राह ले लेता है या कोई नैतिक नियम तोड़ देता है या फिर कोई पाप कर बैठता है
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जो व्यक्ति किसी को ठोकर खिलाता है, उसके लिए अच्छा होगा कि उसके गले में चक्की का पाट लटकाकर उसे समुंदर में फेंक दिया जाए
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यीशु ने सलाह दी कि अगर हम अपनी आँख या हाथ जैसे अनमोल अंग की वजह से ठोकर खा रहे हैं, तो हम उसे भी काटकर फेंक दें
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इन अंगों के बिना परमेश्वर के राज में जाना बेहतर होगा, बजाय इसके कि हम इन अंगों समेत गेहन्ना में डाल दिए जाएँ यानी हमेशा के लिए नाश किए जाएँ
क्या मैं ऐसा कुछ कर रहा हूँ, जो ठोकर की वजह बन सकता है? मैं कैसे इस बात का ध्यान रख सकता हूँ कि न मैं खुद ठोकर खाऊँ और न ही दूसरों को ठोकर खिलाऊँ?