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17-23 जून

भजन 51-53

17-23 जून

गीत 89 और प्रार्थना | सभा की एक झलक (1 मि.)

पाएँ बाइबल का खज़ाना

1. गंभीर पाप से दूर रहने के लिए कौन-से कदम उठाएँ?

(10 मि.)

यह मत सोचिए कि आपसे कभी कोई गलती नहीं होगी। सभी इंसानों में बुरा करने का रुझान होता है (भज 51:5; 2कुर 11:3)

वह सब चीज़ें कीजिए जिनसे यहोवा के साथ आपका रिश्‍ता मज़बूत रहेगा (भज 51:6; प्र19.01 पेज 15 पै 4-5)

जब भी आपके मन में कोई गलत खयाल या इच्छा आए, फौरन उसे निकाल फेंकिए (भज 51:10-12; प्र15 6/15 पेज 14 पै 5-6)

2. ढूँढ़ें अनमोल रत्न

(10 मि.)

  • भज 52:2-4—इन आयतों से दोएग के बारे में क्या पता चलता है? (इंसाइट-1 पेज 644)

  • इस हफ्ते पढ़ने के लिए जो अध्याय हैं, उनमें आपको क्या-क्या रत्न मिले?

3. पढ़ने के लिए आयतें

बढ़ाएँ प्रचार करने का हुनर

4. बातचीत शुरू करना

(2 मि.) सरेआम गवाही देना। (प्यार  पाठ 7 मुद्दा 3)

5. बातचीत शुरू करना

(2 मि.) घर-घर का प्रचार। (प्यार  पाठ 4 मुद्दा 4)

6. वापसी भेंट करना

(3 मि.) मौका ढूँढ़कर गवाही देना। सामनेवाले को सिखाइए कि परमेश्‍वर का नाम क्या है। (प्यार  पाठ 9 मुद्दा 5)

7. बाइबल अध्ययन चलाना

जीएँ मसीहियों की तरह

गीत 115

8. गलती हो जाए तो कौन-से कदम उठाएँ?

(15 मि.) चर्चा।

हम अपनी तरफ से चाहे कितनी ही कोशिशें करें, हमसे गलतियाँ हो ही जाती हैं। (1यूह 1:8) ऐसे में हमें यहोवा के सामने अपनी गलती मान लेनी चाहिए। हमें उससे माफी माँगनी चाहिए और उसकी मदद लेनी चाहिए। (1यूह 1:9) हमें ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि गलती मान लेने से हमें शर्मिंदा होना पड़ेगा और ना ही इस डर से पीछे हटना चाहिए कि हमें कोई सज़ा मिलेगी। अपनी गलती सुधारने का सबसे पहला कदम है, यहोवा से प्रार्थना करना।

भजन 51:1, 2, 17 पढ़िए फिर हाज़िर लोगों से पूछिए:

  • अगर हमसे कोई बड़ी गलती हो जाए, तो हमें क्यों यहोवा से मदद माँगनी चाहिए?

नौजवान—उलझनें और उनके जवाब: गलतियाँ होने पर क्या करूँ?  वीडियो दिखाइए फिर हाज़िर लोगों से पूछिए:

  • टलीला और होज़े ने ऐसा क्या किया जिससे आगे चलकर वे बड़ी-बड़ी गलतियाँ कर बैठे?

  • अपनी गलती सुधारने के लिए उन्होंने कौन-से कदम उठाए?

  • इससे उन्हें क्या फायदा हुआ?

9. मंडली का बाइबल अध्ययन

समाप्ति के चंद शब्द (3 मि.) | गीत 129 और प्रार्थना