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यहोवा ने शाप को आशीर्वाद में बदल दिया

यहोवा ने शाप को आशीर्वाद में बदल दिया

मोआबी लोगों ने इसराएलियों का बुरा करने की कोशिश की (गि 22:3-6)

यहोवा ने अपने लोगों का बुरा नहीं होने दिया (गि 22:12, 34, 35; 23:11, 12)

कोई भी यहोवा का मकसद पूरा होने से नहीं रोक सकता (गि 24:12, 13; गवाही दो पेज 53 पै 5; इंसाइट-2 पेज 291)

परमेश्‍वर चाहता है कि पूरी दुनिया में खुशखबरी सुनायी जाए। कोई भी चीज़ इस काम को रोक नहीं सकती। चाहे यहोवा के लोगों को सताया जाए या उन्हें कोई प्राकृतिक विपत्ति झेलनी पड़े, यह काम होकर ही रहेगा। जब हम पर कोई मुसीबत आती है, तो क्या हम यहोवा पर भरोसा रखते हैं? और क्या ऐसे में भी हम उसकी उपासना को पहली जगह देते हैं?