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जीएँ मसीहियों की तरह

हर मुश्‍किल का अंत ज़रूर होगा

हर मुश्‍किल का अंत ज़रूर होगा

जब हम पर मुश्‍किलें आती हैं तो हम निराश हो सकते हैं। और जब ये मुश्‍किलें लंबे समय तक रहती हैं, तो हम और ज़्यादा निराश हो सकते हैं। राजा शाऊल की वजह से दाविद को बहुत वक्‍त तक मुश्‍किलों से गुज़रना पड़ा। लेकिन उसे विश्‍वास था कि ये मुश्‍किलें खत्म होंगी और यहोवा उसे राजा बनाने का अपना वादा पूरा करेगा। (1शम 16:13) इस वजह से वह सब्र रख पाया और उसने यहोवा के वक्‍त का इंतज़ार किया।

अपने हालात बदलने के लिए हम सोच-समझकर काम ले सकते हैं। (1शम 21:12-14; नीत 1:4) लेकिन कई बार यह सब करने के बाद भी शायद हमारी मुश्‍किल दूर न हो। तब हमें सब्र रखना चाहिए और यहोवा के वक्‍त का इंतज़ार करना चाहिए। बहुत जल्द, वह हमारी सारी मुश्‍किलें दूर कर देगा और हमारी आँखों से “हर आँसू पोंछ देगा।” (प्रक 21:4) चाहे हमारी मुश्‍किलें यहोवा की मदद से दूर हों या किसी और वजह से, एक बात पक्की है कि “हर मुश्‍किल का अंत ज़रूर होगा।” इस सच्चाई से हमें काफी दिलासा मिल सकता है।

दुनिया में पड़ी फूट, पर हम हैं एकजुट  वीडियो देखिए। फिर सवालों के जवाब दीजिए।

  • अमरीका के दक्षिणी इलाकों में रहनेवाले कुछ मसीहियों को किन मुश्‍किलों का सामना करना पड़ा?

  • उन्होंने कैसे सब्र रखा और अपना प्यार जताया?

  • उन्होंने किस तरह ‘ज़्यादा अहमियत रखनेवाली बातों’ पर ध्यान दिया?​—फिल 1:10