जीएँ मसीहियों की तरह
यहोवा पर भरोसा करने के तीन तरीके
दाविद गोलियात को इसलिए मार पाया क्योंकि उसने यहोवा पर भरोसा किया। (1शम 17:45) यहोवा अपने सभी लोगों की खातिर अपनी ताकत दिखाना चाहता है। (2इत 16:9) दाविद की तरह, हमें अपनी काबिलीयतों और अपने अनुभव पर नहीं, बल्कि यहोवा पर भरोसा करना चाहिए। इसके लिए हमें क्या करना होगा? आइए तीन तरीके देखें।
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बार-बार प्रार्थना कीजिए। गलती करने के बाद हम माफी माँगने के लिए प्रार्थना तो करते ही हैं। लेकिन तब भी प्रार्थना करनी चाहिए, जब हमें गलत काम करने के लिए लुभाया जाता है। (मत 6:12, 13) हम अकसर फैसले लेने के बाद प्रार्थना करते हैं। लेकिन हमें फैसले लेने से पहले भी यहोवा से बुद्धि और सलाह माँगनी चाहिए।—याकू 1:5
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लगातार बाइबल पढ़िए और अध्ययन कीजिए। हर दिन बाइबल पढ़िए। (भज 1:2) उसमें बताए लोगों के बारे में गहराई से सोचिए। उनसे जो सीख मिलती, उसके हिसाब से काम कीजिए। (याकू 1:23-25) चाहे आप सालों से प्रचार कर रहे हों, फिर भी प्रकाशनों में खोजबीन करके तैयारी कीजिए। सभाओं से अच्छी तरह सीखने के लिए तैयारी कीजिए
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यहोवा के संगठन का साथ दीजिए। हमें संगठन से मिलनेवाली सभी हिदायतों के बारे में पता होना चाहिए और उन्हें तुरंत मानना चाहिए। (गि 9:17) हमें प्राचीनों की सलाह और हिदायतें माननी चाहिए।—इब्र 13:17
ज़ुल्मों से डरने की ज़रूरत नहीं वीडियो देखिए। फिर सवालों के जवाब दीजिए।
• भाई-बहनों को किन बातों का डर था?
• अपना डर दूर करने के लिए उन्होंने क्या किया?