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22-28 अप्रैल

भजन 32-33

22-28 अप्रैल

गीत 103 और प्रार्थना | सभा की एक झलक (1 मि.)

पाएँ बाइबल का खज़ाना

1. हमें अपना पाप क्यों मान लेना चाहिए?

(10 मि.)

जब दाविद ने अपना पाप छिपाने की कोशिश की, तो वह परेशान रहने लगा। यह शायद तब की बात है जब उसने बतशेबा के साथ व्यभिचार किया था (भज 32:3, 4; प्र93 3/15 पेज 9 पै 7, अँग्रेज़ी)

दाविद ने यहोवा के सामने अपना पाप मान लिया और यहोवा ने उसे माफ कर दिया (भज 32:5; यहोवा के करीब पेज 262 पै 8)

जब यहोवा ने उसे माफ कर दिया तो उसे सुकून मिला (भज 32:1; प्र01 6/1 पेज 30 पै 1)

जब हमसे कोई गंभीर पाप होता है, तो हमें नम्र होकर यहोवा के सामने उसे मान लेना चाहिए और उससे माफी माँगनी चाहिए। हमें प्राचीनों के पास भी जाना चाहिए, जो हमें फिर से यहोवा के करीब जाने में मदद देंगे। (याकू 5:14-16) यह सब करने से हमें यहोवा से ताज़गी मिलेगी।—प्रेष 3:19.

2. ढूँढ़ें अनमोल रत्न

(10 मि.)

  • भज 33:6—यहोवा के मुँह की “साँस” का मतलब क्या है? (प्र06 5/15 पेज 19-20 पै 12)

  • इस हफ्ते पढ़ने के लिए जो अध्याय हैं, उनमें आपको क्या-क्या रत्न मिले?

3. पढ़ने के लिए आयतें

बढ़ाएँ प्रचार करने का हुनर

4. नम्र रहिए—पौलुस ने क्या किया?

(7 मि.) चर्चा। वीडियो दिखाइए, फिर प्यार  पाठ 4 मुद्दा 1-2 पर चर्चा कीजिए।

5. नम्र रहिए—पौलुस की तरह हमें क्या करना है?

जीएँ मसीहियों की तरह

गीत 74

6. मंडली की ज़रूरतें

(15 मि.)

7. मंडली का बाइबल अध्ययन

समाप्ति के चंद शब्द (3 मि.) | गीत 39 और प्रार्थना