मुश्किलों के दौर में अय्यूब वफादार रहा
अय्यूब उस वक्त जीया जब इसराएली मिस्र में गुलाम थे। वह ऊज़ नाम के देश में रहता था। हालाँकि वह इसराएली नहीं था, फिर भी वह यहोवा का वफादार सेवक था। उसका बहुत बड़ा परिवार था और वह बहुत रईस और इज़्ज़तदार था। लोग उससे सलाह-मशविरा करने आते थे और वह बिना भेद-भाव किए लोगों का न्याय करता था। वह बहुत ही दरियादिल था और गरीब और ज़रूरतमंदों की मदद करता था। अय्यूब बहुत ही नेक और परमेश्वर का वफादार इंसान था।
अय्यूब ने अपने जीने के तरीके से दिखाया कि यहोवा उसकी ज़िंदगी में सबसे ज़्यादा अहमियत रखता है
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शैतान ने अय्यूब की वफादारी पर ध्यान दिया। उसने ऐसा नहीं कहा कि अय्यूब परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानता, बल्कि अय्यूब के इरादों पर सवाल खड़ा किया
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शैतान ने अय्यूब पर इलज़ाम लगाया कि वह अपने मतलब के लिए यहोवा की उपासना करता है
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शैतान के लगाए इलज़ामों का जवाब देने के लिए यहोवा ने शैतान को अय्यूब की परीक्षा लेने की इजाज़त दी। शैतान ने अय्यूब की ज़िंदगी पूरी तरह तबाह कर दी
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अय्यूब के अलावा शैतान ने सभी इंसानों की वफादारी पर सवाल खड़ा किया
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अय्यूब ने कोई पाप नहीं किया और न ही परमेश्वर पर कुछ गलत काम करने का दोष लगाया