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जीएँ मसीहियों की तरह

मेहमानों का स्वागत कीजिए

मेहमानों का स्वागत कीजिए

23 मार्च को दुनिया-भर में स्मारक के दिन शायद 1 करोड़ 20 लाख से भी ज़्यादा मेहमान आएँ। जब वक्ता फिरौती बलिदान के तोहफे के बारे में और भविष्य में इंसानों को मिलनेवाली आशीषों के बारे में बताएगा, तो मेहमानों को क्या ही बढ़िया गवाही दी जाएगी! (यश 11:6-9; 35:5, 6; 65:21-23; यूह 3:16) इस खास मौके पर वक्ता के साथ-साथ हम सभी तहे दिल से उनका स्वागत करके उन्हें गवाही दे सकते हैं। (रोम 15:7) मेहमानों का स्वागत करने के लिए आगे बताए कुछ तरीके आज़माइए।

  • अपनी सीट पर बैठकर कार्यक्रम शुरू होने का इंतज़ार करने के बजाय मेहमानों का मुसकराकर स्वागत कीजिए और उन भाई-बहनों का भी, जो अब सभाओं में और प्रचार के लिए नहीं आते हैं

  • सिर्फ उन्हीं पर ध्यान मत दीजिए जिन्हें आपने निमंत्रण दिया है, बल्कि उनसे भी मिलिए जिन्हें अभियान के दौरान किसी और भाई-बहन ने बुलाया हो। नए लोगों को अपने साथ बिठाइए। कार्यक्रम के दौरान उन्हें अपनी गीत पुस्तिका और बाइबल से आयतें दिखाइए

  • कार्यक्रम के बाद उनसे पूछिए कि उन्हें कार्यक्रम कैसा लगा और जो भी सवाल वे करें, उनके जवाब दीजिए। लेकिन अगर उस जगह कुछ ही समय में कोई दूसरी मंडली स्मारक के लिए इकट्ठा होनेवाली है, तो उनसे दोबारा मिलने का इंतज़ाम कीजिए। अगर आपके पास उनका फोन नंबर या पता नहीं है, तो कहिए, “क्या हम फोन पर या दोबारा मिलकर इस बारे में बातचीत कर सकते हैं?”