4-10 मार्च
रोमियों 12-14
गीत 106 और प्रार्थना
सभा की एक झलक (3 मि. या कम)
पाएँ बाइबल का खज़ाना
“मसीही प्यार का क्या मतलब है?”: (10 मि.)
रोम 12:10—भाई-बहनों से लगाव रखिए (इंसाइट-1 पेज 55)
रोम 12:17-19—जब कोई आपके साथ बुरा करे, तो उससे बदला मत लीजिए (प्र09 10/15 पेज 8 पै 3; प्र07 7/1 पेज 25-26 पै 12-13)
रोम 12:20, 21—भलाई से बुराई को जीतिए (प्र12 11/15 पेज 29 पै 13)
ढूँढ़ें अनमोल रत्न: (8 मि.)
रोम 12:1—इस आयत का क्या मतलब है? (प्यार के लायक पेज 76-77 पै 5-6)
रोम 13:1—इसका मतलब क्या है कि ऊँचे अधिकारियों को “परमेश्वर ने अपने अधीन अलग-अलग पद पर ठहराया है”? (प्र08 6/15 पेज 31 पै 4)
इस हफ्ते के अध्यायों से आपने यहोवा के बारे में क्या सीखा?
इन अध्यायों में आपको और क्या-क्या रत्न मिले?
पढ़ने के लिए आयतें: (4 मि. या कम) रोम 13:1-14 (जी-जान गुण 10)
बढ़ाएँ प्रचार में हुनर
पढ़ने और सिखाने में जी-जान लगाएँ: (10 मि.) चर्चा। सवाल वीडियो दिखाइए। फिर जी-जान ब्रोशर के गुण 3 पर चर्चा कीजिए।
भाषण: (5 मि. या कम) प्र11 9/1 पेज 21-22, अँग्रेज़ी—विषय: मसीहियों को कर क्यों देना चाहिए, फिर चाहे वह पैसा ऐसे कामों में लगाया जाता हो जो बाइबल के खिलाफ हैं? (जी-जान गुण 3)
जीएँ मसीहियों की तरह
मंडली की ज़रूरतें: (15 मि.)
मंडली का बाइबल अध्ययन: (30 मि.) राज किताब अध्या 4 पै 1-6 और बक्स “परमेश्वर के नाम का मतलब”
सीखी बातों पर एक नज़र और अगले हफ्ते की एक झलक (3 मि.)
गीत 2 और प्रार्थना