जीएँ मसीहियों की तरह
जीवन-भर के हमदम
कामयाब शादी से यहोवा की महिमा होती है और पति-पत्नी भी खुश रहते हैं। (मर 10:9) लेकिन शादी को कामयाब बनाने के लिए ज़रूरी है कि मसीही बाइबल के सिद्धांतों को ध्यान में रखकर सही जीवन-साथी चुनें।
“जवानी की कच्ची उम्र पार” करने के बाद ही डेटिंग कीजिए। (1कुर 7:36) इस उम्र में लैंगिक इच्छाएँ ज़ोर पर होती हैं और इससे आप गलत फैसले ले सकते हैं। इसलिए कुछ साल रुकिए और इस दौरान यहोवा के साथ अपना रिश्ता मज़बूत कीजिए। अपने अंदर अच्छे गुण भी बढ़ाइए। तब आगे चलकर जब आप शादी करेंगे तो आप एक अच्छे पति या पत्नी बन पाएँगे।
किसी से शादी करने से पहले उसके “अंदर के इंसान” को अच्छी तरह जानने के लिए वक्त लीजिए। (1पत 3:4) इसके बाद अगर आपको लगता है कि उसमें कुछ ऐसी कमियाँ हैं जो शायद आगे चलकर बड़ी समस्याएँ बन सकती हैं, तो इस बारे में उससे बात कीजिए। लेकिन याद रखिए कि दूसरे रिश्तों की तरह, शादी के रिश्ते में भी आपको खुद से ज़्यादा दूसरे की फिक्र करनी चाहिए। (फिल 2:3, 4) अगर आप शादी के पहले से ही बाइबल के सिद्धांत मान रहे होंगे तो शादी के बाद भी आप इन्हें मानते रह पाएँगे। इससे आपकी शादीशुदा ज़िंदगी खुशहाल होगी।
शादीशुदा ज़िंदगी के लिए तैयारी—भाग 3: ‘खर्च का हिसाब लगाना’ वीडियो देखिए। फिर सवालों के जवाब दीजिए।
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शुरू में बहन और शेन के बीच सबकुछ कैसा चल रहा था?
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जब बहन शेन को अच्छी तरह जानने लगी, तो उसने क्या देखा?
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बहन के माता-पिता ने कैसे उसकी मदद की? उसने समझदारी से कौन-सा फैसला लिया?