हम अद्भुत रीति से रचे गए हैं
दाविद ने परमेश्वर के उन अच्छे गुणों पर मनन किया, जो उसकी सृष्टि में साफ नज़र आते हैं। उसने पूरे तन-मन से अपनी ज़िंदगी यहोवा की सेवा करने में बितायी।
जब दाविद ने सृष्टि के बारे में गहराई से सोचा, तो उससे यहोवा की महिमा करे बिना रहा नहीं गया:
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‘मैं तेरा धन्यवाद करूँगा, इसलिये कि मैं अद्भुत रीति से रचा गया हूँ’
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“जब मैं गुप्त में बनाया जाता, और पृथ्वी के नीचे स्थानों में रचा जाता था, तब मेरी हड्डियाँ तुझ से छिपी न थीं”
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“तेरी आँखों ने मेरे बेडौल तत्व को देखा; और मेरे सब अंग जो दिन दिन बनते जाते थे वे रचे जाने से पहले तेरी पुस्तक में लिखे हुए थे”