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पाएँ बाइबल का खज़ाना | भजन 142-150

‘यहोवा महान और अति स्तुति के योग्य है’

‘यहोवा महान और अति स्तुति के योग्य है’

145:1-5

जब दाविद ने यह समझा कि यहोवा की महानता की कोई सीमा नहीं है, तो उसके मन में आया कि वह हमेशा यहोवा की स्तुति करे

145:10-12

दाविद की तरह यहोवा के वफादार सेवकों का भी मन करता है कि वे यहोवा के महान कामों के बारे में बातचीत करते रहें

145:14

दाविद को पूरा यकीन था कि यहोवा अपने सभी सेवकों का खयाल रख सकता है और वह ऐसा करना चाहता है