यीशु ने अपने पिता की महिमा की
यीशु ने जो भी कहा और जो भी किया, उससे यहोवा की महिमा हुई। वह चाहता था कि लोग जानें कि उसका संदेश परमेश्वर की तरफ से है। इसलिए वह हमेशा शास्त्र के आधार पर सिखाता था और कई बार उसका हवाला देता था। जब कोई उसकी तारीफ करता, तो वह उसका ध्यान यहोवा की तरफ खींचता था ताकि यहोवा की महिमा हो। उसकी सबसे बड़ी चिंता थी, यहोवा का दिया काम पूरा करना।—यूह 17:4.
हम कैसे यीशु के नक्शे-कदम पर चल सकते हैं जब . . .
-
हम बाइबल अध्ययन में या स्टेज से सिखा रहे होते हैं?
-
कोई हमारी तारीफ करे?
-
हमें फैसला करना हो कि हम अपना समय किस काम में लगाएँगे?