गीत 151
वह उन्हें पुकारेगा
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1. कोहरे जैसा है जीवन हम सबका,
आज है तो कल ना होगा।
आँसू और गम दे जाती मौत हमें,
करती कभी रहम ना।
क्या मर के कोई, हो सकता ज़िंदा?
हाँ, ये वादा है याह का।
(कोरस)
हम इंसाँ गर मर भी जाएँ,
कर देगा याह फिर ज़िंदा।
साँसें देने दोबारा
तरसे वो सबसे ज़्यादा।
कर यकीं, है ताकत याह में,
वैसा ही फिर रच देगा।
सृष्टि हम उसकी प्यारी,
जीएँगे आखिर सदा।
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2. दोस्त याह के जो दुन्-या में ना रहे,
महफूज़ हैं उसकी याद में।
सोए हुए हैं वो उसके लिए,
जागें जब याह पुकारे।
तब फिरदौस में हाँ, जीवन हम सच्चा
जीएँगे हमेशा का।
(कोरस)
हम इंसाँ गर मर भी जाएँ,
कर देगा याह फिर ज़िंदा।
साँसें देने दोबारा
तरसे वो सबसे ज़्यादा।
कर यकीं, है ताकत याह में,
वैसा ही फिर रच देगा।
सृष्टि हम उसकी प्यारी,
जीएँगे आखिर सदा।
(यूह. 6:40; 11:11, 43; याकू. 4:14 भी देखें।)