गीत 32
यहोवा की ओर हो जा!
-
1. झूठे धर्मों में थे जब हम फँसे,
मन में थीं तब कितनी ही उलझनें।
फिर उठीं कैसी उमंगें दिल में,
राज का संदेश जब सुना।
(कोरस)
याह के संग रहना तू, हो जा उसकी ओर,
छोड़ेगा ना साथ वो, चाहे जो भी हो।
शांति और उद्-धार का जाके कर प्रचार,
राज उसके मसीह का रहता बरकरार।
-
2. एक होके हम सब चलते संग याह के,
जग में खबर उस के राज की देते।
जो कोई सुन ले, अब फैसला कर ले,
याह का साथ दें या नहीं।
(कोरस)
याह के संग रहना तू, हो जा उसकी ओर,
छोड़ेगा ना साथ वो, चाहे जो भी हो।
शांति और उद्-धार का जाके कर प्रचार,
राज उसके मसीह का रहता बरकरार।
-
3. हम ना अकेले फिर क्यों हम डरें?
याह की ताकत पे यकीं है हमें।
लाए शैताँ कितनी ही मुश्-किलें,
उन से निकालेगा याह।
(कोरस)
याह के संग रहना तू, हो जा उसकी ओर,
छोड़ेगा ना साथ वो, चाहे जो भी हो।
शांति और उद्-धार का जाके कर प्रचार,
राज उसके मसीह का रहता बरकरार।
(भज. 94:14; नीति. 3:5, 6; इब्रा. 13:5 भी देखें।)