गीत 67
“वचन का प्रचार कर”
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1. याह ने दिया हमें एक काम,
कर लें पूरा, चाहे जो हो अंजाम;
जो आशा संजोयी है दिल में,
तैयार रहें हरदम बयाँ करने।
(कोरस)
तो कर ऐलान,
कर वचन का तू ऐलान!
कर ऐलान,
दुन्-या दो दिन की मेहमान!
कर ऐलान,
नम्र लोगों को समझा।
कर ऐलान,
जीवन बचा!
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2. राह में काँटे होंगे बिछे,
बे-इज़्-ज़-ती हमें सहनी पड़े,
पसंद ना करेंगे लोग ये काम,
पर क्यों डरें जब याह है मेहरबान!
(कोरस)
तो कर ऐलान,
कर वचन का तू ऐलान!
कर ऐलान,
दुन्-या दो दिन की मेहमान!
कर ऐलान,
नम्र लोगों को समझा।
कर ऐलान,
जीवन बचा!
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3. देखेंगे दिन खुशी के हम,
नम्र सीखेंगे जब याह का वचन।
हम देते पैगाम छुटकारे का,
यूँ करते नाम बुलंद यहोवा का।
(कोरस)
तो कर ऐलान,
कर वचन का तू ऐलान!
कर ऐलान,
दुन्-या दो दिन की मेहमान!
कर ऐलान,
नम्र लोगों को समझा।
कर ऐलान,
जीवन बचा!
(मत्ती 10:7; 24:14; प्रेषि. 10:42; 1 पत. 3:15 भी देखें।)