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गीत 77

अँधेरी दुनिया में सच्चाई की रौशनी

अँधेरी दुनिया में सच्चाई की रौशनी

(2 कुरिंथियों 4:6)

  1. 1. स्याही-सा है अँधेरा पर

    सच की लौ जल रही।

    झलका नूर उस सवेरे का

    जो आएगा जल्द ही।

    (कोरस)

    संदेश ये हमारा,

    चीर के घना अँधेरा

    आशा का दीप बनता;

    हमको है दिखाता

    दिन वो सुनहरा कल का

    जो बीते ना।

  2. 2. जागें वो जो हैं सो रहे,

    सच की रौश-नी देखें।

    बीत रहीं वक्‍त की घड़ियाँ,

    अब वो देर ना करें!

    (कोरस)

    संदेश ये हमारा,

    चीर के घना अँधेरा

    आशा का दीप बनता;

    हमको है दिखाता

    दिन वो सुनहरा कल का

    जो बीते ना।