गीत 85
एक-दूसरे का स्वागत करें
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1. स्वागत सबका जो हाज़िर हैं यहाँ!
सब सीखने आए वचन याह का।
जीवन का जल वो सभी को देता।
हम प्यास अपनी बुझाएँ और मानें एहसाँ।
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2. भाई ये सारे याह ने हैं दिए,
अपनाते हैं जो हमें दिल से।
अनमोल इन्हें हम मानते ही रहें;
इनके जैसे हम भी सबका स्वागत करें।
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3. याह का बुलावा जाता है सबको,
अब राह सच्-चा-ई की चुन लें वो।
याह और यीशु पास खींचते हैं हमें;
तो दिल बड़ा करके सबका स्वागत करें।
(यूह. 6:44; फिलि. 2:29; प्रका. 22:17 भी देखें।)