गीत 98
परमेश्वर की प्रेरणा से लिखा शास्त्र
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1. शास्त्र याह का फैलाता नूर,
मन का कर अँधेरा दूर।
ये मशाल है सच्-चा-ई की,
रस्ता दिखाए जो सही।
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2. याह सिखाता है शास्त्र से,
दे नसीहत, समझाए।
गर अमल इस पे हम करें,
होगा भला इस जीवन में।
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3. शास्त्र से हमने ये सीखा,
याह का प्यार कितना गहरा!
रोज़-ब-रोज़ जब इसे पढ़ें,
जीवन की राह पे चल सकें।
(भज. 119:105; नीति. 4:13 भी देखें।)