अनोखी तेरी कारीगरी
1. सूरज के खिलते ही आते हैं पंछी
और चुपके से आसमाँ में तारे गुम होते।
पत्तों से छनती धूप सुनहरी
झोंके फिर हवाओं के, हमसे कुछ बोलें।
(प्री-कोरस)
और मैं हैराँ याह, मैं हैराँ हूँ याह!
अनोखी तेरी, कारीगरी, और सोचूँ मैं,
हैं हम क्या कि चाहे तू हमें।
(कोरस)
अजूबे देखूँ तेरे, गाऊँ गीत।
अजूबे देखूँ तेरे, गाऊँ गीत
हाँ, गीत तेरे।
2. फुर्तीले, सुंदर जीव हैं ये प्यारे,
दिन हो या रात, सोचो तो, कहते हैं क्या ये।
सागर में भी ज़िंदगी करे हलचल,
रंगीले ये जीव सब, गुण गाते तेरे।
(प्री-कोरस)
और मैं हैराँ याह, मैं हैराँ हूँ याह!
अनोखी तेरी, कारीगरी, और सोचूँ मैं,
हैं हम क्या कि चाहे तू हमें।
(कोरस)
अजूबे देखूँ तेरे, गाऊँ गीत।
अजूबे देखूँ तेरे, गाऊँ गीत
हाँ, गीत तेरे।
(खास पंक्तियाँ)
देखें गर, आँखों से जो न दिखे
तभी पहुँचेंगे करीब उसके जिसने दी जान।
(प्री-कोरस)
और मैं हैराँ याह, मैं हैराँ हूँ याह!
अनोखी तेरी, कारीगरी, और सोचूँ मैं,
हैं हम क्या, कि चाहे तू हमें।
(कोरस)
अजूबे देखूँ तेरे गाऊँ गीत,
अजूबे देखूँ तेरे गाऊँ गीत,
अजूबे देखूँ तेरे गाऊँ गीत,
अजूबे देखूँ तेरे गाऊँ गीत,
अजूबे देखूँ तेरे गाऊँ गीत,
हाँ गीत तेरे।