कभी ना डरो
1. कसौटियों में, मंज़िल होती है गुम
कुछ ना सूझे है, बुझे दीप जैसे।
नहीं मानना ऐसे में हार,
उठा के सिर तुम देखो
एक बार,
देखो!
(कोरस)
डरो ना कभी कि वो तो पास है,
छोड़े ना तुझे, थामा जो हाथ तेरा,
तो मुश्किल चाहे जो हो,
याद रखो के तुम ना अकेले हो,
बस दुआ तुम करो।
देखो,
कभी ना डरो।
2. दिए हैं दोस्त जो करते हमसे प्यार,
बढ़ाते हौसला, हमेशा देते साथ।
पढ़ें हर दिन वचन याह का,
तो फिर से भर आता है जोश
दिल में हाँ,
तो देखो!
(कोरस)
डरो ना कभी कि वो तो पास है,
छोड़े ना तुझे, थामा जो हाथ तेरा,
तो मुश्किल चाहे जो हो,
याद रखो के तुम ना अकेले हो,
तुम अकेले नहीं।
देखो!
(खास पंक्तियाँ)
तो फिर जब चिंताएँ आ घेरें,
करना दुआ,
ठीक सब होगा।
(कोरस)
डरो ना कभी कि वो तो पास है,
छोड़े ना तुझे, थामा जो हाथ तेरा,
तो मुश्किल चाहे जो हो,
याद रखो के तुम ना अकेले हो,
तुम अकेले नहीं।
देखो,
कभी ना डरो।