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चलना अमन की राह

चलना अमन की राह
  1. 1. जाने क्यों आज-कल, यहाँ हर कहीं,

    हर इक है गरम-मिज़ाज।

    दिल में सभी के है बेचैनी,

    और है रूखा अंदाज़।

    पर आती है याद मुझे याह की बात,

    चलना अमन की राह।

    बस यहोवा से पाऊँ शां-त मन,

    है यही मेरी दुआ।

    (कोरस)

    अमन का ना यहाँ नामो-निशाँ,

    ये शैताँ की है दुन्‌-या।

    होगा चैन-ओ-अमन,

    हाँ नया जहाँ,

    करूँगा दो पल का इंतज़ार।

  2. 2. यही हाल है काम पर भी हर कहीं,

    है सभी का मूड गरम।

    इन लपटों से बचूँगा मैं,

    हाँ रहूँगा शांत-नरम।

    और करूँगा याद मैं याह की बात,

    कि समझ से मैं काम लूँ।

    दर्द की चादर में सिमटा है हर दिल

    चाहे दो पल का सुकूँ।

    (कोरस)

    अमन का ना यहाँ नामो-निशाँ,

    ये शैताँ की है दुन्‌-या।

    होगा चैन-ओ-अमन,

    हाँ नया जहाँ,

    करूँगा दो पल का इंतज़ार।

    (खास पंक्‍तियाँ)

    है बेचैन हर दिल यहाँ।

    कैसे रहूँ मैं शांत भला?

    मेरे मन को शांत रखेगा याह,

    रखूँगा उस पर भरोसा।

  3. 3. देने जाऊँ मैं जब भी खुश-खबर,

    कोई फेरे मुँह कभी।

    या करे गुस्से में द-र-वाज़ा बंद,

    या बरस जाए कोई।

    तब करता हूँ याद मैं अप-नी फर-याद।

    देना शांत मन मुझे याह।

    कर का-बू खुद पर, लेता हूँ वचन

    च-लूँ-गा अ-मन की राह

    (कोरस)

    अमन का ना यहाँ नामो-निशाँ,

    ये शैताँ की है दुन्‌-या।

    होगा चैन-ओ-अमन,

    हाँ नया जहाँ,

    करूँगा दो पल का इंतज़ार।

    (कोरस)

    अमन का ना यहाँ नामो-निशाँ,

    ये शैताँ की है दुन्‌-या।

    होगा चैन-ओ-अमन,

    हाँ नया जहाँ,

    करूँगा दो पल का इंतज़ार।