दौड़ते रहें
1. आगे देख,
अब ना मुड़ पीछे!
रख नज़र मंज़िल पे
कि तू जीत पाए।
तो बढ़ाके विश्वास,
हर बोझ उतार फेंक।
दुन्-या अगर जाल डाले,
छुड़ा पैर अपने।
(कोरस)
तो चल
मिलके संग दौड़ें हम,
पाएँ ज़िंदगी।
रुकें ना हम, मुड़ें ना हम,
जीतेंगे ये तभी।
हाँ, दौड़ें हम, दम-ब-दम,
जोशीले बनके दौड़ें,
आगे बढ़ते रहें।
सो, मिलके संग
अब दौड़ें हम।
2. याह दे इनाम
ना मिटेगा जो कभी।
हम जीएँगे सदा
दुन्-या में नयी।
(कोरस)
तो चल
मिलके संग दौड़ें हम,
पाएँ ज़िंदगी।
रुकें ना हम, मुड़ें ना हम,
जीतेंगे ये तभी।
हाँ, दौड़ें हम, दम-ब-दम,
जोशीले बनके दौड़ें,
आगे बढ़ते रहें।
सो, मिलके संग
अब दौड़ें हम,
पाएँ ज़िंदगी।
(खास पंक्तियाँ)
दुन्-या चाहेगी कि तू मुड़ जाए
और डूब जाए तू इसमें।
हरा दे तू दुन्-या को
और तू
दौड़े जा, दौड़े जा,
दम-ब-दम, दौड़े जा।
(कोरस)
तो फिर
मिलके संग दौड़ें हम,
पाएँ ज़िंदगी।
रुकें ना हम, मुड़ें ना हम,
जीतेंगे ये तभी।
हाँ, दौड़ें हम, दम-ब-दम,
जोशीले बनके दौड़ें,
आगे बढ़ते रहें।
सो, मिलके संग
अब दौड़ें हम।
दौड़ करें पूरी!
मंज़िल है करीब!
पाएँगे ज़िंदगी, हाँ!
आओ, आगे बढ़ें
हर कदम! ओ!
संग दौड़ें हम,
दम-ब-दम,
पाएँ ज़िंदगी!