परिवार एक है
1. आयी हूँ एक नए देश में,
मीलों पीछे घर है मेरा।
ये सब याह का ही,
इंतज़ाम वरना,
नामुमकिन है ये होना।
और इस काम में जो मेहनत लगी है,
वो सब याह के लिए ही।
और ना देखा जिन्हें परिवार ये मेरा,
कहती हूँ उनसे ये:
(कोरस)
हम सब यहोवा के हैं,
हम एक हैं, परिवार एक है।
और दूर हो देश, फिर भी तुम्हें,
प्यार करते,
परिवार एक है।
2. राह देखी, और जो पहुँचे तो,
किया दिल से स्वागत सबका।
फिर बजा संगीत और शुरू प्रोग्राम,
हुआ गहरा और ये प्यार।
मानें याह का तहेदिल से एहसान,
घुले एक रंग में सारे।
तो यहोवा से प्यार करेंगे हम सदा,
गाएँगे गुन उसके।
(कोरस)
हम सब यहोवा के हैं,
हम एक हैं, परिवार एक है।
और दूर हो देश, फिर भी तुम्हें,
प्यार करते,
परिवार एक है।
3. लगता है सब नया फिर भी,
ना घबराए दिल ये मेरा।
खुशी से सबको दूँ संदेश राज का,
कितने अच्छे हैं ये लोग।
और जो प्यार दिया भाइयों ने वो तो,
करूँ कैसे बयाँ मैं!
रहें चाहे जहाँ, है एक रिश्ता जुड़ा,
करते हैं प्यार उनसे!
(खास पंक्तियाँ)
हर देश में ही,
कितना ही दूर सही, है अपना कोई,
अफ्रीका से मैक्सिको,
और जापान से जमैका।
(कोरस)
हम सब यहोवा के हैं,
हम एक हैं, परिवार एक है।
और दूर हो देश, फिर भी तुम्हें,
प्यार करते,
परिवार एक है।
हो बोली भाषा जो भी,
हम सारे, परिवार एक हैं।
प्यार के बंधन से हैं जुड़े,
आखिर हैं, हम परिवार याह के।
फिजी, कनेडा, इंग्लैंड या ऑस्ट्रेलिया,
स्पेन, सिंगापुर या हो स्विट्ज़रलैंड,
म्यानमार, भूटान, पाकिस्तान या अमेरिका,
प्यार करते, परिवार एक है।