याह पर करूँ ऐतबार
1. कुछ ऐसे होते हैं पल, जब सोचूँ होगा क्या मेरा कल
और कैसी होगी मेरी ज़िंदगी जो ये राह मैंने ली।
पर जानूँ मैं ये, यहोवा ही के लिए
जीऊँगा सदा यूँ ही, जो भी हो।
(कोरस)
ज़िंदगी भर के लिए, है फैसला ये
यहोवा का दिल, खुशियों से भरूँ मैं
और चलता रहूँगा हर दिन, उसकी ही राह पे।
उसने है सबकुछ दिया, न भूलूँ कभी मैं
मेरे संग रहा, जब था मुश्किलों में
उसपे ही करूँ ऐतबार, ज़िंदगी भर मैं।
2. ऐसे में क्या हो भला, जब करना हो मुझको फैसला
ऐसा हो मेरा चुनाव कि लूँ मैं सच्चाई की राह।
जब मन में रखूँ समर्पण याह के लिए,
मज़बूती के संग विश्वास भी मिले।
(कोरस)
ज़िंदगी भर के लिए, है फैसला ये
यहोवा का दिल, खुशियों से भरूँ मैं
और चलता रहूँगा हर दिन, उसकी ही राह पे।
उसने है सबकुछ दिया, न भूलूँ कभी मैं
मेरे संग रहा, जब था मुश्किलों में
उसपे ही करूँ ऐतबार, ज़िंदगी भर मैं।
(खास पंक्तियाँ)
जो मैं चलता रहूँगा, यहोवा के संग
अपने कल को मैं ढालूँ यहोवा के रंग।
हमेशा रहेगी ये ज़िंदगी
और मिलती रहेगी, सच्ची खुशी।
(कोरस)
ज़िंदगी भर के लिए, है फैसला ये
यहोवा का दिल, खुशियों से भरूँ मैं
और चलता रहूँगा हर दिन, उसकी ही राह पे।
उसने है सबकुछ दिया, न भूलूँ कभी मैं
मेरे संग रहा, जब था मुश्किलों में
उसपे ही करूँ ऐतबार, ज़िंदगी भर मैं।
उसपे ही करूँ ऐतबार, ज़िंदगी भर मैं।