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हर दिन की अपनी चिंताएँ हैं

हर दिन की अपनी चिंताएँ हैं
  1. 1. मैं जानूँ याह का राज लाए जल्द फिरदौस यहाँ।

    करूँ यकीं ये लाएगा फिर, खुश्‌-यों का समाँ

    पर दिल जब हो बड़ा दुखी,

    है मुश्‍किल देखना अनदेखी।

    ना देख सकूँ उस प्यार को मैं, मुझसे जो सब करते हैं।

    पर मैं जानूँ पास है याह

    (कोरस)

    तो करूँ दुआ, दिल से मैं।

    जब फिक्र घेर लेतीं मुझे,

    कर सकूँ यकीं याह पे।

    ना हूँ तनहा, यहोवा है।

    मिले उससे दिलासा

    दिली दोस्तों की परवाह।

    हाँ, हर दिन की अपनी चिंताएँ हैं।

    फिक्र मैं आज ही की करूँ,

    कल की चिंता मैं छोड़ूँ कल पे

    और सुकूँ पाऊँ,

    जब बोझ याह को दूँ।

  2. 2. मुझे तेरी परवाह है दोस्त,

    तो मान बात मेरी।

    खुश्‌-यों पे रखना नज़र अब

    अपने बोझों पे नहीं।

    सोचो याह का प्यार कितना

    अनमोल अपना बेटा दिया।

    वो चाहे हम जीएँ सदा,

    तो शक ना कर, रख भरोसा

    और ना कभी डरना।

    (कोरस)

    तो दुआ, हम करें

    जब फिक्र घेर लेतीं हमें,

    कर सकें यकीं याह पे।

    ना हैं तनहा, यहोवा है।

    मिले उससे दिलासा

    दिली दोस्तों की परवाह।

    हाँ, हर दिन की अपनी चिंताएँ हैं।

    फिक्र हम आज ही की करें,

    कल की चिंता हम छोड़ें कल पे

    और सुकूँ पाएँ,

    जब बोझ याह को दें।

    (कोरस)

    तो दुआ, हम करें

    जब फिक्र घेर लेतीं हमें,

    कर सकें यकीं याह पे।

    ना हैं तनहा, यहोवा है।

    मिले उससे दिलासा

    दिली दोस्तों की परवाह।

    हाँ, हर दिन की अपनी चिंताएँ हैं।

    फिक्र हम आज ही की करें,

    कल की चिंता हम छोड़ें कल पे

    और सुकूँ पाएँ,

    जब बोझ याह को दें।

    जब बोझ याह को दें।