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गीत 147

एक खास संपत्ति

एक खास संपत्ति

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(1 पतरस 2:9)

  1. याह ने चु-ना है जिन-को,

    बे-टे हैं वो धर-ती के।

    न-यी सृ-ष्टि कह-ला-ते,

    याह मे-हर-बान इन पे।

    (कोरस)

    सं-प-त्ति है खास ये,

    अप-ना नाम दि-या इन्‌-हें,

    प्यार कर-ते याह तुझ-से,

    जग में ते-रा नाम रौ-शन कर-ते।

  2. का-बिल ये पा-वन जा-ति,

    सच्-चा-ई सि-खा-ने में।

    शु-क्र मा-नें हम याह का

    दी है रौश-नी जिस-ने।

    (कोरस)

    सं-प-त्ति है खास ये,

    अप-ना नाम दि-या इन्‌-हें,

    प्यार कर-ते याह तुझ-से,

    जग में ते-रा नाम रौ-शन कर-ते।

  3. उम्-दा मि-साल है इन-की,

    कर-ते हर हु-कुम पू-रा।

    कर इ-कट्‌-ठा भे-ड़ों को

    ये नि-भा-ते व-फा।

    (कोरस)

    सं-प-त्ति है खास ये,

    अप-ना नाम दि-या इन्‌-हें,

    प्यार कर-ते याह तुझ-से,

    जग में ते-रा नाम रौ-शन कर-ते।