नौजवानों के सवाल
सृष्टि या विकासवाद?—भाग 2: विकासवाद पर सवाल क्यों करें?
ऐलेक्स बड़ी उलझन में है। वह शुरू से मानता आया है कि एक परमेश्वर है और उसी ने सबकुछ बनाया है। मगर आज उसके बायलॉजी टीचर ने दावे के साथ कहा कि विकासवाद का सिद्धांत बिलकुल सच्चा है और विज्ञान ने खोजबीन करके इसे सच्चा साबित कर दिया है। ऐलेक्स क्लास के सामने बेवकूफ नहीं दिखना चाहता। वह मन में सोचता है, ‘जब वैज्ञानिकों ने साबित कर दिया है कि विकासवाद का सिद्धांत सच्चा है, तो मैं कौन होता हूँ उन पर सवाल करनेवाला?’
क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है? शायद आप बचपन से बाइबल की इस बात को सही मानते आए हों कि “परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की।” (उत्पत्ति 1:1) मगर हाल ही में लोगों ने आपको यकीन दिलाने की कोशिश की है कि यह एक मनगढ़ंत कहानी है कि परमेश्वर ने दुनिया की सृष्टि की जबकि विकासवाद का सिद्धांत एक सच्चाई है। क्या आपको उनकी बात पर यकीन कर लेना चाहिए? आपको विकासवाद के सिद्धांत पर क्यों सवाल उठाना चाहिए?
विकासवाद पर सवाल करने के दो कारण
सभी वैज्ञानिक विकासवाद के सिद्धांत पर एकमत नहीं हैं। बरसों की खोजबीन के बाद भी विकासवाद के सिद्धांत पर सभी वैज्ञानिक एकमत नहीं हैं।
ज़रा सोचिए: वैज्ञानिकों को जानकार लोग माना जाता है, मगर जब वे खुद विकासवाद को लेकर एक-दूसरे से सहमत नहीं हैं तो क्या आप इस सिद्धांत पर सवाल उठाकर कुछ गलत कर रहे होंगे?—भजन 10:4.
यह बात मायने रखती है कि आप क्या मानते हैं। ज़ैकरी नाम का एक लड़का कहता है, “अगर जीवन इत्तफाक से वजूद में आया था तो इसका मतलब हमारी ज़िंदगी और विश्व में पायी जानेवाली सभी चीज़ें बेमतलब की हैं।” यह बात सोचनेलायक है। वाकई, अगर विकासवाद का सिद्धांत सही होता तो ज़िंदगी का कोई मकसद नहीं होता। (1 कुरिंथियों 15:32) लेकिन अगर परमेश्वर ने सबकुछ बनाया है तो हम ज़िंदगी के मकसद और हमारे भविष्य से जुड़े सवालो के जवाब पा सकते हैं।—यिर्मयाह 29:11.
ज़रा सोचिए: क्या विकासवाद का सिद्धांत सही है या क्या परमेश्वर ने सबकुछ बनाया है, इस बारे में सच्चाई जानने से आपकी ज़िंदगी पर क्या फर्क पड़ सकता है?—इब्रानियों 11:1.
कुछ सवाल जिन पर आपको सोचना चाहिए
यह दावा किया जाता है: ‘विश्व की हर चीज़ एक भयानक विस्फोट की वजह से अचानक वजूद में आ गयी।’
वह विस्फोट किसने की थी या किस वजह से हुई थी?
किस बात में तुक है? यह कहने में कि दुनिया की हर चीज़ अपने आप आ गयी? या यह कहने में कि हर चीज़ किसी और चीज़ से निकली है या किसी ने उसे बनाया है?
यह दावा किया जाता है: ‘इंसान जानवरों से विकसित होकर बने हैं।’
अगर इंसान जानवरों से विकसित होकर बने हैं, मान लीजिए बंदरों से बने हैं, तो फिर इंसानों और बंदरों की दिमागी काबिलीयत में इतना बड़ा फर्क क्यों है? a
छोटे से छोटे जीव भी इतने जटिल क्यों हैं? b
यह दावा किया जाता है: ‘विकासवाद का सिद्धांत सच साबित हो चुका है।’
जो ऐसा दावा करता है क्या उसने खुद सबूतों की जाँच की है?
कितने लोग ऐसे हैं जो विकासवाद को सिर्फ इसलिए सच मान लेते हैं क्योंकि उन्हें बताया गया है कि सभी समझदार लोग उस सिद्धांत पर यकीन करते हैं?