परिवार के लिए मदद | बच्चों की परवरिश
अगर मेरा नौजवान बच्चा मेरा भरोसा तोड़े, तो क्या करूँ?
कई बच्चे माता-पिता के नियमों के मुताबिक जीना पसंद नहीं करते। तो कई ऐसे हैं जो अपने मम्मी-पापा से झूठ बोलकर चोरी-छिपे अपने दोस्तों से मिलने जाते हैं। अगर आपका बच्चा कुछ ऐसा करता है जिससे आपका भरोसा टूटता है, तो आप क्या करेंगे?
क्या मेरा बच्चा बगावती है?
ऐसा ज़रूरी नहीं। बाइबल में लिखा है, “जवान के मन में मूर्खता बसी होती है।” (नीतिवचन 22:15, फुटनोट) उनके कामों से साफ पता चलता है कि बाइबल की यह बात बिलकुल सच है। डॉ. लॉरेन्ट्स स्टाइनबर्ग ने अपनी किताब में लिखा है कि ‘जवान बच्चे अकसर जल्दबाज़ी में बेवकूफी भरे फैसले लेते हैं। माता-पिताओ, आपके बच्चों से गलतियाँ होंगी।’ a
क्या मेरा बच्चा मुझसे झूठ बोल रहा है?
पहले से यह मत मान बैठिए कि आपके बच्चे ने आपकी बात न सुनने का फैसला कर लिया है। रिसर्च से यह पता चला है कि शायद बच्चे ऊपरी तौर पर दिखाएँ कि उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि मम्मी-पापा उनके बारे में क्या सोचते हैं। लेकिन सच तो यह है कि उन्हें फर्क पड़ता है। हो सकता है, आप बच्चे से जो चाह रहे थे उसे पूरा करने में वह नाकाम हो गया। इसलिए वह खुद से ही नाराज़ है। और इस वजह से वह आपको खुलकर नहीं बता पा रहा क्योंकि उसे लगता है कि वह आपकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। b
यह किसकी गलती है?
क्या उसके आस-पास का माहौल खराब है? बाइबल में लिखा है, “बुरी संगति अच्छी आदतें बिगाड़ देती है।” (1 कुरिंथियों 15:33) नौजवानों पर उनके दोस्तों का बहुत गहरा असर होता है। इसके अलावा उन पर सोशल मीडिया और विज्ञापनों का भी असर होता है। इतना ही नहीं, कम तजुरबा होने की वजह से वह बेवकूफी भरे फैसले कर बैठते हैं। लेकिन उन्हें अपनी गलतियों से सबक सीखना चाहिए। ऐसा करने से वह उस गलती को दोबारा नहीं दोहराएँगे और एक ज़िम्मेदार इंसान बन पाएँगे।
क्या यह मेरी गलती है? आप शायद सोचें कि मैंने अपने बच्चे के साथ कुछ ज़्यादा ही सख्ती बरती, इसलिए उसने ऐसा किया। या शायद आपको लगे कि मैंने उसे थोड़ी ज़्यादा ही ढील दे दी, जिसका उसने गलत फायदा उठाया। यह सोचने के बजाय कि मेरी किस गलती की वजह से उसने ऐसा किया, यह सोचिए कि आप इस समस्या को कैसे हल कर सकते हैं।
मैं ऐसा क्या करूँ कि बच्चा मेरा भरोसा जीत पाए?
अपना आपा मत खोइए। आपके बच्चे को पता है कि उसने जो किया, उससे आप बहुत गुस्सा हैं। मगर गुस्सा होने के बजाय, क्यों ना बच्चे के साथ आराम से बैठकर बात करें और पूछें उसने ऐसा क्यों किया? क्या वह सिर्फ कुछ नया करने की कोशिश कर रहा था? बोर हो रहा था? अकेला महसूस कर रहा था? या उसे दोस्तों की कमी महसूस हो रही थी? हालाँकि इसमें से कोई भी वजह उसकी गलती को सही नहीं ठहराती। मगर इससे आपको और आपके बच्चे को यह समझने में मदद मिलेगी कि आखिर ऐसा क्यों हुआ।
बाइबल का सिद्धांत: “हर कोई सुनने में फुर्ती करे, बोलने में उतावली न करे और गुस्सा करने में जल्दबाज़ी न करे।”—याकूब 1:19.
अपने बच्चे को यह समझने में मदद दीजिए कि ऐसा क्यों हुआ। कुछ ऐसे सवाल पूछिए जैसे, इससे तुमने क्या सबक लिया? अगर अगली बार ऐसी ही समस्या उठे, तो तुम क्या करोगे ताकि दोबारा ऐसी गलती न हो? ऐसे सवाल पूछने से आप अपने बच्चे की मदद कर पाएँगे कि वह अपने सोचने-समझने की काबिलीयत का अच्छा इस्तेमाल करे।
बाइबल का सिद्धांत: “सब्र से काम लेते हुए और कुशलता से सिखाते हुए गलती करनेवाले को सुधार, डाँट और समझा।”—2 तीमुथियुस 4:2.
सज़ा भी दीजिए। जब बच्चे से गलती होती है, तो उसे सज़ा भी दीजिए। इससे बच्चा सीखेगा कि गलती करने पर सज़ा भी मिलती है। मान लीजिए, आपकी गैर-हाज़िरी में बच्चे ने आपसे पूछे बगैर घर पर पार्टी रखी। ऐसे में आप क्या करेंगे? आप कुछ समय के लिए दोस्तों के साथ उसके मिलने-जुलने का समय कम कर सकते हैं ताकि उसे एहसास हो कि उसने आपका भरोसा तोड़ा है।
बाइबल का सिद्धांत: “एक इंसान जो बोता है, वही काटेगा भी।”—गलातियों 6:7.
यकीन दिलाइए कि भरोसा जीता जा सकता है। अगर बच्चे ने आपका भरोसा तोड़ा है, तो ये रातों-रात ठीक नहीं होगा। इसमें समय लगेगा। उसे यकीन दिलाइए कि वह आपका भरोसा फिर से जीत सकता है। लेकिन अगर बच्चा यह सोचे कि वह आपका भरोसा दोबारा कभी नहीं जीत पाएगा, तो वह ऐसा करने की कोशिश भी नहीं करेगा।
बाइबल का सिद्धांत: “अपने बच्चों को खीज न दिलाओ, कहीं ऐसा न हो कि वे हिम्मत हार बैठें।”—कुलुस्सियों 3:21.