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ଅଧ୍ୟୟନ ଲେଖା ୪୧

ଯିହୋବା ଦୟାର ସାଗର

ଯିହୋବା ଦୟାର ସାଗର

“ସଦାପ୍ରଭୁ ସମସ୍ତଙ୍କ ପ୍ରତି ମଙ୍ଗଳମୟ; ପୁଣି, ତାହାଙ୍କ ସମସ୍ତ ହସ୍ତକୃତ କର୍ମ ଉପରେ ତାହାଙ୍କର ଦୟା ଥାଏ ।”—ଗୀତ. ୧୪୫:୯.

ଗୀତ ୪୪ दुखियारे की प्रार्थना

ଲେଖାର ଝଲକ *

୧. ଦୟାଳୁ ବ୍ୟକ୍ତି ଜଣେ କିପରି ହୋଇଥାଏ ? ବୁଝାନ୍ତୁ ।

 दयालु इंसान दिल का अच्छा होता है। वह दूसरों पर कृपा करता है, करुणा से पेशा आता है और दरियादिल होता है। यह जानकर शायद हमें दयालु सामरी की याद आए, जिसकी कहानी यीशु ने सुनायी थी। हालाँकि वह दूसरे देश का था, फिर भी उसने एक यहूदी पर “दया की,” जिसे कुछ लुटेरों ने मारकर अधमरा छोड़ दिया था। उस सामरी ने जब उसे देखा “तो उसका दिल तड़प उठा” और उसने “उसकी मदद की।” उसने उसकी देखभाल करने का इंतज़ाम भी किया। (लूका 10:29-37) इस कहानी से हम यहोवा के एक गुण के बारे में सीखते हैं, वह है दया। यहोवा हर दिन कई तरीकों से हम पर दया करता है।

୨. ଦୟା କରିବାର ଗୋଟିଏ ଉପାୟ କ‘ଣ ?

दया करने का एक तरीका है, दूसरों की गलती माफ करना। यहोवा हमारे साथ भी कुछ ऐसा ही करता है। भजन के एक लेखक ने लिखा, “उसने हमारे पापों के मुताबिक हमारे साथ सलूक नहीं किया।” (भज. 103:10) लेकिन कभी-कभी यहोवा गलती करनेवाले को सुधारता है। यह दया करने का एक और तरीका है।

୩. କେଉଁ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକର ଆମେ ଉତ୍ତର ପାଇବା ?

इस लेख में हम बाइबल से तीन सवालों के जवाब जानेंगे: यहोवा क्यों दया करता है? किसी को सख्ती से सुधारना, उस पर दया करना कैसे हो सकता है? हमें दूसरों पर दया क्यों करनी चाहिए?

ଯିହୋବା କାହିଁକି ଦୟା କରନ୍ତି

୪. ଯିହୋବା କାହିଁକି ଲୋକମାନଙ୍କୁ ଦୟା କରିଥାନ୍ତି ?

यहोवा लोगों से प्यार करता है, इसलिए वह उन पर दया करता है।  प्रेषित पौलुस ने लिखा, यहोवा “दया का धनी है।” उसने ऐसा इसलिए लिखा, क्योंकि परमेश्‍वर ने दया करके अपने कुछ सेवकों को स्वर्ग में जीने की आशा दी। (इफि. 2:4-7) लेकिन यहोवा सिर्फ अभिषिक्‍त मसीहियों पर दया नहीं करता। दाविद ने लिखा, “यहोवा सबके साथ भला करता है, उसकी दया उसके सब कामों में दिखायी देती है।”​—भज. 145:9.

୫. ଯୀଶୁ କିପରି ଜାଣିପାରିଲେ ଯେ ଯିହୋବା ଦୟାଳୁ ଈଶ୍ବର ଅଟନ୍ତି ?

यहोवा और यीशु स्वर्ग में अरबों-खरबों साल साथ थे। (नीति. 8:30, 31) यीशु ने कई बार अपने पिता को पापी इंसानों पर दया करते देखा था। (भज. 78:37-42) इस तरह वह जान पाया कि उसका पिता कितना दयालु है। इसलिए जब वह धरती पर आया, तो उसने कई बार अपने पिता के इस गुण के बारे में सिखाया।

पिता ने अपने बेटे की बेइज़्ज़ती नहीं की, बल्कि उसका स्वागत किया (पैराग्राफ 6 देखें) *

୬. ଯିହୋବା କେତେ ଯେ ଦୟାଳୁ ଏହା ବୁଝାଇବା ପାଇଁ ଯୀଶୁ କେଉଁ ଦୃଷ୍ଟାନ୍ତ ଦେଲେ ?

यहोवा कितना दयालु है, यह समझाने के लिए यीशु ने खोए हुए बेटे की कहानी सुनायी। कहानी में बेटे ने घर छोड़ दिया और “उसने ऐयाशी में अपनी सारी संपत्ति उड़ा दी।” (लूका 15:13) लेकिन बाद में उसे पछतावा हुआ और वह घर लौट आया। उसके पिता ने क्या किया? यीशु ने बताया, “अभी [बेटा] काफी दूर ही था कि पिता की नज़र उस पर पड़ी और वह तड़प उठा। वह दौड़ा-दौड़ा गया और बेटे को गले लगा लिया और बहुत प्यार से उसे चूमने लगा।” पिता ने उसे डाँटा नहीं, न ही उसकी बेइज़्ज़ती की। इसके बजाय उसने उस पर दया की और उसे माफ कर दिया। हालाँकि बेटे ने बहुत बड़ा पाप किया था, लेकिन पिता ने उसे माफ कर दिया, क्योंकि उसे दिल से अपने किए पर पछतावा था। यहोवा उस दयालु पिता की तरह है। वह उन लोगों पर दया करने के लिए तैयार रहता है, जो पाप करने के बाद पश्‍चाताप करते हैं।​—लूका 15:17-24.

୭. ଯିହୋବାଙ୍କ ଦୟାରୁ କିପରି ଜଣାପଡ଼େ ଯେ ସେ ବୁଦ୍ଧିମାନ ଅଟନ୍ତି ?

यहोवा बुद्धिमान है, इसलिए वह दया करता है।  बाइबल में लिखा है, “जो बुद्धि  स्वर्ग से मिलती है वह . . . दया  और अच्छे कामों से भरपूर होती है।” (याकू. 3:17) यहोवा एक प्यारे पिता की तरह हम पर दया करता है, क्योंकि वह जानता है कि इसमें हमारी भलाई है। (भज. 103:13; यशा. 49:15) उसकी दया की वजह से अपरिपूर्ण इंसानों को भविष्य की सुनहरी आशा मिली है। इससे पता चलता है कि यहोवा कितना बुद्धिमान है। वह जानता है कि उसे कब दया करनी चाहिए और कब नहीं। जब उसे जायज़ वजह मिलती है, तो वह दया करता है। लेकिन जब लोग पश्‍चाताप नहीं करते, तो वह दया नहीं करता।

୮. ବେଳେବେଳେ କେଉଁ ପଦକ୍ଷେପ ଉଠାଇବା ଜରୁରୀ ଅଟେ ଓ କାହିଁକି ?

जब परमेश्‍वर का एक सेवक जानबूझकर पाप करता है, तो हमें क्या करना चाहिए? पौलुस ने लिखा, ‘ऐसे आदमी के साथ मेल-जोल रखना बंद कर दो।’ (1 कुरिं. 5:11) जो व्यक्‍ति पश्‍चाताप नहीं करता, उसे मंडली से बहिष्कृत कर दिया जाता है। यह कदम उठाना ज़रूरी है, ताकि भाई-बहनों की हिफाज़त हो सके और सब समझ सकें कि हम यहोवा के स्तरों पर चलते हैं। मगर कुछ लोगों को शायद लगे कि किसी को बहिष्कृत करना दया करना नहीं है। क्या सचमुच ऐसा है? आइए देखें।

କଠୋର ମଧ୍ୟ ଓ ଦୟା ମଧ୍ୟ

जब तक भेड़ बीमार रहती है, उसे अलग रखा जाता है। लेकिन इस दौरान चरवाहा उसकी देखभाल करता है (पैराग्राफ 9-11 देखें)

୯-୧୦. ଏବ୍ରୀ ୧୨:୫, ୬ ପଦ ଅନୁସାରେ, କାହାରିକୁ ବହିଷ୍କୃତ କରିବା ତା’ଉପରେ ଦୟା କରିବା କାହିଁକି ? ଏହା ବୁଝିବା ପାଇଁ ଗୋଟିଏ ଉଦାହରଣ ଦିଅନ୍ତୁ ?

जब सभा में यह घोषणा की जाती है कि फलाना व्यक्‍ति “अब से यहोवा का साक्षी नहीं है,” तो यह सुनकर हमें बहुत दुख होता है। हम शायद सोचें कि क्या उसका बहिष्कार करना ज़रूरी था? दरअसल जब किसी का बहिष्कार किया जाता है, तो उस पर दया की जाती है और यह एक प्यार-भरा इंतज़ाम है। ऐसा करना बुद्धिमानी भी है क्योंकि तभी पाप करनेवाले इंसान को अपनी गलती का एहसास होगा। (नीति. 13:24) कई भाई-बहनों ने माना कि जब प्राचीनों ने उनका बहिष्कार किया, तब उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ। उन्होंने अपना चालचलन बदला और वे यहोवा के पास लौट आए।​—इब्रानियों 12:5, 6 पढ़िए।

୧୦ एक उदाहरण पर ध्यान दीजिए। एक चरवाहा देखता है कि उसकी एक भेड़ बीमार है। वह जानता है कि जब तक वह भेड़ ठीक नहीं हो जाती, तब तक उसे दूसरी भेड़ों से अलग रखना होगा। लेकिन वह यह भी जानता है कि ऐसा करने से वह भेड़ छटपटाएगी। अब चरवाहा क्या करेगा? अगर वह भेड़ को झुंड से अलग रखेगा, तो क्या इसका यह मतलब है कि वह निर्दयी है? नहीं। चरवाहा समझता है कि ऐसा करने में भेड़ और झुंड, दोनों की भलाई है। उस भेड़ की बीमारी दूसरी भेड़ों में नहीं फैलेगी।​—लैव्यव्यवस्था 13:3, 4 से तुलना करें।

୧୧. (କ) ପାପ କରିଥିବା ବ୍ୟକ୍ତିଙ୍କୁ ବହିଷ୍କାର କରିବା କାହିଁକି ଜରୁରୀ ? (ଖ) ଜଣେ ବହିଷ୍କୃତ ବ୍ୟକ୍ତିଙ୍କୁ କେଉଁ କେଉଁ ଉପାୟରେ ସାହାଯ୍ୟ କରାଯାଇପାରେ ?

୧୧ जब एक मसीही पाप करता है, तो यहोवा के साथ उसका रिश्‍ता टूट जाता है। इस मायने में वह बीमार भेड़ की तरह होता है। (याकू. 5:14) इसलिए प्राचीनों को उसे मंडली से बहिष्कृत करना पड़ता है, नहीं तो उसका बुरा असर दूसरे भाई-बहनों पर पड़ सकता है। यहोवा ने बहिष्कार का इंतज़ाम इसलिए किया क्योंकि वह मंडली के वफादार भाई-बहनों से प्यार करता है और चाहता है कि पाप करनेवाले व्यक्‍ति को अपनी गलती का एहसास हो और वह पश्‍चाताप करे। एक बहिष्कृत व्यक्‍ति सभाओं में आ सकता है, जहाँ वह बाइबल से सीख सकता है और अपना विश्‍वास दोबारा मज़बूत कर सकता है। वह हमारी किताबें-पत्रिकाएँ पढ़ सकता है और JW ब्रॉडकास्टिंग भी देख सकता है। प्राचीन, समय-समय पर देखते हैं कि उसने कितना बदलाव किया है और यहोवा के साथ उसका रिश्‍ता सुधारने के लिए उसे और भी सलाह देते हैं। *

୧୨. ଅନେକ ଥର ପ୍ରାଚୀନମାନଙ୍କୁ ପାପ କରିଥିବା ବ୍ୟକ୍ତିଙ୍କ ସହ କ’ଣ କରିବାକୁ ପଡ଼ିଥାଏ ଓ କାହିଁକି ?

୧୨ याद रखिए कि एक व्यक्‍ति को तभी मंडली से बहिष्कृत किया जाता है, जब वह कोई पाप करता है और पश्‍चाताप नहीं करता। प्राचीन जानते हैं कि यह बहुत गंभीर मामला है, इसलिए वे बहुत सोच-समझकर फैसला लेते हैं। वे जानते हैं कि किसी को सुधारने के लिए यहोवा ‘उतनी फटकार लगाता है जितनी सही है।’ (यिर्म. 30:11) प्राचीन सब भाई-बहनों से प्यार करते हैं और वे ऐसा कुछ नहीं करना चाहते, जिससे यहोवा के साथ भाई-बहनों का रिश्‍ता बिगड़ जाए। इसलिए कई बार इसी प्यार और दया की वजह से उन्हें पाप करनेवाले व्यक्‍ति को बहिष्कृत करना पड़ता है।

୧୩. କରିନ୍ଥୀୟର ଜଣେ ଖ୍ରୀଷ୍ଟିୟାନଙ୍କୁ କାହିଁକି ବହିଷ୍କାର କରା ଯାଇଥିଲା ?

୧୩ एक उदाहरण पर ध्यान दीजिए। पहली सदी में, कुरिंथ शहर के एक मसीही ने अपने पिता की पत्नी के साथ नाजायज़ यौन-संबंध रखे। यह बहुत ही घिनौना काम था! यह पाप करने के बाद उसने कोई पश्‍चाताप नहीं किया। प्रेषित पौलुस ने उसके साथ क्या किया? वह जानता था कि यहोवा ने इसराएलियों से कहा था, “जो आदमी अपने पिता की पत्नी के साथ सोता है वह अपने पिता का अपमान करता है। उस आदमी और औरत को हर हाल में मौत की सज़ा दी जाए।” (लैव्य. 20:11) पौलुस उस आदमी को मौत की सज़ा नहीं दे सकता था। मगर उसने प्राचीनों को यह हिदायत दी कि वे उसे बहिष्कृत कर दें। उस मसीही के घिनौने काम से मंडली के दूसरे लोगों पर बुरा असर हो रहा था। कुछ भाई-बहनों को तो यह भी नहीं लग रहा था कि उसने कोई पाप किया है।​—1 कुरिं. 5:1, 2, 13.

୧୪. ପାଉଲ, କିପରି ସେହି ବହିଷ୍କୃତ ବ୍ୟକ୍ତିକୁ ଦୟା ଦେଖାଇଲେ ଓ କାହିଁକି ? (୨ କରିନ୍ଥୀୟ ୨:୫-୮, ୧୧)

୧୪ कुछ समय बाद पौलुस को पता चला कि उस आदमी को अपने किए पर बहुत पछतावा है। उसने बड़े-बड़े बदलाव किए। इसलिए पौलुस को उस पर दया आयी। हालाँकि उसकी वजह से मंडली की बहुत बदनामी हुई, फिर भी पौलुस उसके साथ ज़्यादा सख्ती नहीं करना चाहता था। उसने प्राचीनों को हिदायत दी, “तुम्हें उस पर कृपा करके उसे माफ करना चाहिए और उसे दिलासा देना चाहिए।” उसने ऐसा करने के लिए क्यों कहा? पौलुस ने कहा, “कहीं ऐसा न हो कि वह हद-से-ज़्यादा उदासी में डूब जाए।” पौलुस नहीं चाहता था कि वह दोष की भावना से इतना दब जाए कि हिम्मत हार बैठे और माफी पाने की उम्मीद छोड़ दे।​—2 कुरिंथियों 2:5-8, 11 पढ़िए।

୧୫. ପ୍ରାଚୀନମାନେ କେବେ କଠୋରତା ଏବଂ କେବେ ଦୟା ଦେଖାଇଥା’ନ୍ତି ?

୧୫ प्राचीन, यहोवा की तरह दूसरों पर दया करते हैं। जब ज़रूरत पड़ती है, तो वे गलती करनेवाले के साथ सख्ती करते हैं। लेकिन जब मुमकिन  होता है, तो वे उस पर दया करते हैं। अगर प्राचीन गलती करनेवाले को बिलकुल नहीं सुधारेंगे, तो वे उस पर दया नहीं कर रहे होंगे। इसके बजाय, वे उसे और भी गलती करने का बढ़ावा दे रहे होंगे। लेकिन क्या सिर्फ प्राचीनों को दूसरों पर दया करनी चाहिए?

ଆମେ ଅନ୍ୟମାନଙ୍କୁ କାହିଁକି ଦୟା ଦେଖାଇବା ଉଚିତ୍‌ ?

୧୬. ହିତୋପଦେଶ ୨୧:୧୩ ପଦ ଅନୁସାରେ, ଯେଉଁମାନେ ଅନ୍ୟମାନଙ୍କୁ ଦୟା ଦେଖାନ୍ତି ନାହିଁ, ସେମାନଙ୍କ ସହ ଯିହୋବା କ’ଣ କରନ୍ତି ?

୧୬ सभी मसीहियों को यहोवा की तरह दूसरों पर दया करनी चाहिए। इसकी एक वजह यह है कि अगर हम ऐसा नहीं करेंगे, तो यहोवा हमारी प्रार्थनाएँ नहीं सुनेगा। (नीतिवचन 21:13 पढ़िए।) हम ऐसा हरगिज़ नहीं चाहते, इसलिए हमें कठोर दिल नहीं बनना चाहिए। जब कोई मसीही तकलीफ में होता है, तो हमें उसकी मदद की पुकार सुननी चाहिए। हमें यह भी याद रखना चाहिए, “जो दया नहीं करता उसका न्याय भी बिना दया के होगा।” (याकू. 2:13) अगर हम मानेंगे कि हमें दया की बहुत ज़रूरत  है, तो हम भी दूसरों पर दया करेंगे।  हमें खासकर ऐसे लोगों पर दया करनी चाहिए, जो पश्‍चाताप करके मंडली में वापस आते हैं।

୧୭. ଦାଉଦ ଶାଉଲଙ୍କ ଉପରେ କିପରି ଦୟା ଦେଖାଇଲେ ?

୧୭ कठोर बनने के बजाय, दया करने के बारे में हम पुराने ज़माने के कुछ लोगों से सीख सकते हैं। उदाहरण के लिए दाविद को लीजिए। दाविद ने अकसर दूसरों पर दया की। जैसे, राजा शाऊल ने उसे कई बार मारने की कोशिश की, फिर भी दाविद ने उस पर दया की। उसने कभी-भी उससे बदला लेने की नहीं सोची।​—1 शमू. 24:9-12, 18, 19.

୧୮-୧୯. ଦାଉଦ କେଉଁ କେଉଁ ସମୟରେ ଦୟା ଦେଖାଇ ନ ଥିଲେ ?

୧୮ लेकिन दाविद हमेशा दयालु नहीं था। एक बार ऐसा हुआ कि नाबाल ने दाविद की बेइज़्ज़ती की और उसे और उसके आदमियों को खाना देने से इनकार कर दिया। दाविद को बहुत गुस्सा आया और वह नाबाल और उसके घराने के सभी आदमियों को मार डालने के लिए निकल पड़ा। लेकिन अबीगैल अपने पति नाबाल की तरह कठोर नहीं थी। उसने फौरन दाविद और उसके आदमियों के लिए खाना भिजवाया। इस वजह से दाविद ने नाबाल और उसके आदमियों को नहीं मारा।​—1 शमू. 25:9-22, 32-35.

୧୯ एक और घटना पर ध्यान दीजिए। जब दाविद ने बहुत बड़े पाप किए थे, तब उसे अपनी गलती का एहसास दिलाने के लिए नातान भविष्यवक्‍ता ने उसे एक कहानी सुनायी। उसने उसे एक अमीर आदमी के बारे में बताया, जिसने एक गरीब आदमी की इकलौती भेड़ चुरा ली। यह सुनकर दाविद को बहुत गुस्सा आया। उसने कहा, “यहोवा के जीवन की शपथ, जिस आदमी ने ऐसा किया वह मौत की सज़ा के लायक है!” (2 शमू. 12:1-6) दाविद जानता था कि मूसा के कानून के मुताबिक अगर एक चोर एक भेड़ चुराता है, तो उसे बदले में चार भेड़ें लौटानी पड़ेंगी। (निर्ग. 22:1) लेकिन उस चोर को कभी मौत की सज़ा नहीं दी जाती। हालाँकि उस अमीर आदमी ने इतना बड़ा पाप नहीं किया था, फिर भी दाविद ने उसे एक कठोर सज़ा सुनायी। दाविद ने उस अमीर आदमी से भी बड़े-बड़े अपराध किए थे, फिर भी यहोवा ने उस पर दया की और उसे माफ कर दिया।​—2 शमू. 12:7-13.

राजा दाविद ने नातान की कहानी के अमीर आदमी पर दया नहीं की (पैराग्राफ 19-20 देखें) *

୨୦. ଆମେ ଦାଉଦଙ୍କଠାରୁ କ’ଣ ଶିଖିପାରିବା ?

୨୦ वैसे तो दाविद सबके साथ अच्छे-से पेश आता था और वह दयालु था। लेकिन वह दो बार दया करने से चूक गया। एक बार वह गुस्से में था और वह नाबाल और उसके आदमियों को मारना चाहता था। दूसरी बार उसने भेड़ चुरानेवाले को कठोर सज़ा सुनायी क्योंकि उसने खुद पाप किया था और उसका ज़मीर उसे कचोट रहा था। इससे पता चलता है कि जब यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता ठीक नहीं होता, तो हम कठोर बन जाते हैं और दया नहीं करते। यीशु ने कहा था, “दोष लगाना बंद करो ताकि तुम पर भी दोष न लगाया जाए। इसलिए कि जैसे तुम दोष लगाते हो, वैसे ही तुम पर भी दोष लगाया जाएगा।” (मत्ती 7:1, 2) आइए हम ठान लें कि हम कठोर न बनें, बल्कि अपने परमेश्‍वर यहोवा की तरह बनें, “जो दया का धनी है।”

୨୧-୨୨. ଆମେ କେଉଁ କେଉଁ ଉପାୟରେ ଅନ୍ୟମାନଙ୍କୁ ଦୟା ଦେଖାଇପାରିବା ?

୨୧ दया करने का मतलब सिर्फ तरस खाना नहीं, बल्कि ज़रूरतमंदों की मदद करना भी है। हम देख सकते हैं कि हमारे परिवार में, मंडली में और आस-पास कौन ज़रूरतमंद है और उनकी मदद कर सकते हैं। जैसे, जो लोग तकलीफ में हैं हम उन्हें दिलासा दे सकते हैं, दूसरों के लिए खाना बना सकते हैं या कोई और काम कर सकते हैं। अगर एक मसीही पश्‍चाताप करके वापस मंडली में आता है, तो हम उसके साथ वक्‍त बिता सकते हैं, उसका हौसला बढ़ा सकते हैं। लोगों पर दया करने का एक बढ़िया तरीका है, खुशखबरी का प्रचार करना।​—अय्यू. 29:12, 13; रोमि. 10:14, 15; याकू. 1:27.

୨୨ अगर हम अपने आस-पास ध्यान दें, तो हमें दया करने के कई मौके मिलेंगे। जब हम लोगों पर दया करेंगे, तो हम अपने पिता यहोवा को खुश करेंगे, “जो दया का धनी है।”

ଗୀତ ୪୩ धन्यवाद की प्रार्थना

^ ଅନୁ. 5 यहोवा में कई अच्छे-अच्छे गुण हैं, उनमें से एक है, दया। हमें भी दूसरों पर दया करनी चाहिए। इस लेख में हम सीखेंगे कि यहोवा क्यों दया करता है, जब वह किसी को सुधारता है तो उसकी दया कैसे झलकती है और हम दयालु कैसे बन सकते हैं।

^ ଅନୁ. 11 मंडली में वापस आने के बाद एक व्यक्‍ति यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता कैसे मज़बूत कर सकता है और इस मामले में प्राचीन उसकी मदद कैसे कर सकते हैं, यह जानने के लिए इस अंक में “यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता दोबारा बनाइए” लेख पढ़ें।

^ ଅନୁ. 60 तसवीर के बारे में: घर की छत से पिता अपने खोए हुए बेटे को आते हुए देखता है और वह उससे मिलने के लिए उसकी तरफ दौड़कर जाता है।

^ ଅନୁ. 64 तसवीर के बारे में: राजा दाविद का ज़मीर उसे कचोट रहा था, इसलिए गुस्से में आकर उसने नातान से कहा कि उस अमीर आदमी को मौत की सज़ा मिलनी चाहिए।