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ଅଧ୍ୟୟନ ଲେଖା ୪

ଆମେ ସ୍ମାରକରେ କାହିଁକି ଉପସ୍ଥିତ ହେଉ ?

ଆମେ ସ୍ମାରକରେ କାହିଁକି ଉପସ୍ଥିତ ହେଉ ?

“ମୋତେ ସ୍ମରଣ କରିବା ନିମନ୍ତେ ଏହା କର ।”​—ଲୂକ. ୨୨:୧୯.

ଗୀତ ୨୦ तूने अपना अनमोल बेटा दिया

ଲେଖାର ଝଲକ a

୧-୨. (କ) ଆମ ପରିବାରରେ ଯେଉଁମାନଙ୍କ ମୃତ୍ୟୁ ହୋଇଯାଇଛି, ସେମାନଙ୍କୁ ବିଶେଷ କରି ଆମେ କେତେବେଳେ ମନେ ପକାଉ ? (ଖ) ନିଜ ମୃତ୍ୟୁର ପୂର୍ବ ରାତିରେ ଯୀଶୁ କʼଣ କଲେ ?

 चाहे हमारे अपनों की मौत हुए अरसा बीत जाए, फिर भी हम उन्हें नहीं भूलते। हम खासकर उन्हें उस दिन याद करते हैं, जिस दिन उनकी मौत हुई थी।

यीशु हमारे लिए बहुत खास है। इसलिए हर साल हम उसकी मौत के दिन उसे याद करते हैं। पूरी दुनिया से लाखों लोग भी इसमें शरीक होते हैं। (1 पत. 1:8) हम यीशु की मौत का स्मारक इसलिए मनाते हैं क्योंकि उसने हमें पाप और मौत से छुड़ाने के लिए अपनी जान फिरौती के तौर पर दे दी। (मत्ती 20:28) यही नहीं, यीशु भी चाहता था कि उसके चेले उसकी मौत का दिन याद रखें। इसलिए अपनी मौत से एक रात पहले उसने एक खास भोज की शुरूआत की और अपने चेलों को आज्ञा दी, “मेरी याद में ऐसा ही किया करना।” b​—लूका 22:19.

୩ . ଏହି ଲେଖାରେ ଆମେ କʼଣ ଆଲୋଚନା କରିବା ?

यीशु की मौत का स्मारक मनानेवालों में से कुछ लोग अभिषिक्‍त मसीही हैं, यानी उन्हें स्वर्ग में जीने की आशा है। लेकिन ज़्यादातर लोगों की आशा धरती पर जीने की है। इस लेख में हम जानेंगे कि ये दोनों समूह के लोग हर साल स्मारक क्यों मनाते हैं। हम यह भी जानेंगे कि स्मारक में आने से हमें क्या फायदे होते हैं। आइए सबसे पहले यह जानें कि अभिषिक्‍त मसीही स्मारक में क्यों आते हैं।

ଅଭିଷିକ୍ତ ଖ୍ରୀଷ୍ଟିୟାନମାନେ କାହିଁକି ଉପସ୍ଥିତ ହୁଅନ୍ତି

୪. ଅଭିଷିକ୍ତ ଖ୍ରୀଷ୍ଟିୟାନମାନେ ସ୍ମାରକରେ କାହିଁକି ରୋଟି ଖାଆନ୍ତି ଓ ଦ୍ରାକ୍ଷାରସ ପିଅନ୍ତି ?

हर साल अभिषिक्‍त मसीही स्मारक की रोटी खाने और दाख-मदिरा पीने के लिए स्मारक में हाज़िर होते हैं। क्यों? इसका जवाब जानने के लिए आइए गौर करें कि यीशु की मौत से एक रात पहले क्या हुआ था। फसह मनाने के बाद यीशु ने एक भोज की शुरूआत की, जिसे प्रभु का संध्या भोज कहा जाता है। उसने अपने 11 वफादार चेलों को रोटी और दाख-मदिरा दी और कहा कि वे उसे खाएँ और पीएँ। यीशु ने उनके साथ दो करार किए, नया करार और राज का करार। c (लूका 22:19, 20, 28-30) इन करारों की वजह से 1,44,000 इंसानों को स्वर्ग में राजा और याजक बनने का मौका मिला है। (प्रका. 5:10; 14:1) इसलिए स्मारक के दिन रोटी और दाख-मदिरा सिर्फ वे लोग लेते हैं, जिन्हें स्वर्ग जाने की आशा है।

୫. ଅଭିଷିକ୍ତ ଖ୍ରୀଷ୍ଟିୟାନମାନେ ନିଜ ଆଶା ବିଷୟରେ କʼଣ ଜାଣନ୍ତି ?

अभिषिक्‍त मसीही एक और वजह से स्मारक में हाज़िर होते हैं। स्मारक में आकर वे अपनी आशा के बारे में सोच पाते हैं। उन्हें एक लाजवाब आशा मिली है। यहोवा उन्हें स्वर्ग में अमर जीवन और अनश्‍वर शरीर देगा। वे यीशु और जो अभिषिक्‍त मसीही स्वर्ग जा चुके हैं, उनके साथ मिलकर सेवा कर पाएँगे और यहोवा को अपनी आँखों से देख पाएँगे। (1 कुरिं. 15:51-53; 1 यूह. 3:2) अभिषिक्‍त मसीही जानते हैं कि उन्हें यह ज़िंदगी तभी मिलेगी, जब वे आखिरी साँस तक वफादार रहेंगे। (2 तीमु. 4:7, 8) स्मारक में अभिषिक्‍त मसीहियों को अपनी आशा के बारे में सोचकर खुशी मिलती है। (तीतु. 2:13) लेकिन ‘दूसरी भेड़ों’ के लोग स्मारक में क्यों आते हैं? (यूह. 10:16) आइए इसकी कुछ वजह जानें।

ଅନ୍ୟ ମେଷ ପଲ କାହିଁକି ଉପସ୍ଥିତ ହୁଅନ୍ତି

୬. ପ୍ରତିବର୍ଷ ଅନ୍ୟ ମେଷ ପଲର ଲୋକମାନେ କାହିଁକି ସ୍ମାରକରେ ଉପସ୍ଥିତ ହୁଅନ୍ତି ?

दूसरी भेड़ों के लोग रोटी और दाख-मदिरा नहीं लेते, वे स्मारक में सिर्फ हाज़िर होते हैं। उन्हें इसी में खुशी मिलती है। सन्‌ 1938 में उन्हें पहली बार स्मारक में बुलाया गया था। एक मार्च, 1938 की अँग्रेज़ी प्रहरीदुर्ग में बताया गया था, “दूसरी भेड़ों को भी इस सभा में आना चाहिए और देखना चाहिए कि स्मारक कैसे मनाया जाता है। . . . यह उनके लिए भी खुशी का मौका है।” जिस तरह शादी में आकर मेहमानों को खुशी मिलती है, उसी तरह स्मारक में आकर दूसरी भेड़ों के लोगों को खुशी मिलती है।

୭. ଅନ୍ୟ ମେଷ ପଲର ଲୋକମାନଙ୍କୁ ସ୍ମାରକର ଭାଷଣ ଶୁଣିବା କାହିଁକି ଭଲ ଲାଗେ ?

अभिषिक्‍त मसीहियों की तरह दूसरी भेड़ों के लोग भी स्मारक में अपनी आशा के बारे में सोच पाते हैं। स्मारक के भाषण में इस बात पर ध्यान दिया जाता है कि यीशु और उसके साथी राजा हज़ार साल के राज के दौरान इंसानों के लिए क्या-क्या करेंगे। वे इस धरती को एक खूबसूरत फिरदौस बना देंगे और इंसानों को धीरे-धीरे परिपूर्ण बनाएँगे। जब स्मारक में दूसरी भेड़ों के लोग यशायाह 35:5, 6; 65:21-23 और प्रकाशितवाक्य 21:3, 4 जैसी भविष्यवाणियों के बारे में कल्पना करते हैं, तो उनके चेहरे खुशी से खिल उठते हैं! उनकी आशा और भी ज़्यादा पक्की हो जाती है और उनका इरादा मज़बूत हो जाता है कि वे यहोवा की सेवा करते रहेंगे।​—मत्ती 24:13; गला. 6:9.

୮. ଅନ୍ୟ ମେଷ ପଲର ଲୋକମାନେ ଆଉ କେଉଁ କାରଣରୁ ସ୍ମାରକରେ ଆସନ୍ତି ?

दूसरी भेड़ों के लोग एक और वजह से स्मारक में आते हैं। वे अभिषिक्‍त मसीहियों से प्यार करते हैं और उनका साथ देना चाहते हैं। बाइबल में इस बारे में भविष्यवाणी की गयी थी कि उनके बीच गहरा रिश्‍ता होगा। आइए कुछ भविष्यवाणियों पर ध्यान दें।

୯. ଯିଖରୀୟ ୮:୨୩ ପଦରେ ଥିବା ଭବିଷ୍ୟତବାଣୀରୁ ଅନ୍ୟ ମେଷ ପଲ ଓ ଅଭିଷିକ୍ତ ଖ୍ରୀଷ୍ଟିୟାନମାନଙ୍କ ସମ୍ପର୍କ ବିଷୟରେ କʼଣ ଜଣାପଡ଼େ ?

जकरयाह 8:23 पढ़िए। इस भविष्यवाणी से पता चलता है कि दूसरी भेड़ों के लोगों को अभिषिक्‍त मसीहियों से कितना लगाव है। यहाँ “एक यहूदी” और “तुम्हारे,” अभिषिक्‍त मसीहियों को कहा गया है। (रोमि. 2:28, 29) और “अलग-अलग भाषा बोलनेवाले सब राष्ट्रों में से दस लोग,” दूसरी भेड़ों के लोगों को कहा गया है। ‘वे यहूदी के कपड़े का छोर पकड़ लेते हैं,’ इसका मतलब है कि दूसरी भेड़ों के लोग अभिषिक्‍त मसीहियों के साथ मिलकर शुद्ध उपासना करते हैं। इसीलिए वे अभिषिक्‍त मसीहियों के साथ मिलकर स्मारक भी मनाते हैं।

୧୦. ଯିହିଜିକଲ ୩୭:୧୫-୧୯, ୨୪, ୨୫ ପଦରେ ଦିଆଯାଇଥିବା ଭବିଷ୍ୟତବାଣୀକୁ ଯିହୋବା କିପରି ପୂରଣ କଲେ ?

୧୦ यहेजकेल 37:15-19, 24, 25 पढ़िए। इन आयतों से पता चलता है कि अभिषिक्‍त मसीहियों और दूसरी भेड़ों के लोगों के बीच अटूट एकता है। भविष्यवाणी में दो छड़ियों का ज़िक्र है। एक छड़ी “यहूदा” के लिए है (जिस गोत्र से इसराएल के राजा चुने गए थे) और दूसरी “एप्रैम” के लिए। d “यहूदा” की छड़ी उन लोगों को दर्शाती है, जिन्हें स्वर्ग में जीने की आशा है और “एप्रैम” की छड़ी उन्हें, जिन्हें धरती पर जीने की आशा है। भविष्यवाणी के मुताबिक यहोवा इन दोनों छड़ियों को “एक ही छड़ी” बनाएगा, यानी इन दोनों समूहों को एक कर देगा। वे साथ मिलकर एक राजा, यानी यीशु के अधीन सेवा करेंगे। हर साल जब अभिषिक्‍त मसीही और दूसरी भेड़ों के लोग स्मारक में आते हैं तो वे अलग-अलग समूह के तौर पर नहीं, बल्कि “एक झुंड” के तौर पर हाज़िर होते हैं, जिसका “एक चरवाहा” है।​—यूह. 10:16.

୧୧. ମାଥିଉ ୨୫:୩୧-୩୬, ୪୦ ପଦରେ କୁହାଯାଇଥିବା ‘ମେଷମାନେ’ ଖ୍ରୀଷ୍ଟଙ୍କ ଭାଇମାନଙ୍କର କିପରି ସହଯୋଗ କରନ୍ତି ?

୧୧ मत्ती 25:31-36, 40 पढ़िए। यीशु की मिसाल में बतायी ‘भेड़ें,’ वे नेक लोग हैं जिन्हें धरती पर हमेशा तक जीने की आशा है, यानी दूसरी भेड़ों के वे लोग जो आज ज़िंदा हैं। वे दुनिया-भर में प्रचार और चेला बनाने के काम में मसीह के भाइयों का साथ देते हैं।​—मत्ती 24:14; 28:19, 20.

୧୨-୧୩. ଅନ୍ୟ ମେଷ ପଲର ଲୋକମାନେ ଆଉ କେଉଁ କେଉଁ ଉପାୟରେ ଖ୍ରୀଷ୍ଟଙ୍କ ଭାଇମାନଙ୍କର ସହଯୋଗ କରନ୍ତି ?

୧୨ हर साल स्मारक से कुछ हफ्ते पहले, पूरी दुनिया में एक अभियान चलाया जाता है। दूसरी भेड़ों के लोग इस अभियान में हिस्सा लेते हैं और दिलचस्पी रखनेवाले लोगों को स्मारक में बुलाते हैं। इस तरह वे मसीह के भाइयों का साथ देते हैं। (“ क्या आप तैयार हैं?” बक्स पढ़ें।) हालाँकि कई मंडलियों में अभिषिक्‍त मसीही नहीं हैं, फिर भी दूसरी भेड़ों के लोग स्मारक मनाते हैं और रोटी और दाख-मदिरा का इंतज़ाम करते हैं। इस तरह मसीह के भाइयों का साथ देकर उन्हें बहुत खुशी मिलती है। वे जानते हैं कि जब वे उनका साथ देते हैं, तो वे एक तरह से यीशु का साथ देते हैं।​—मत्ती 25:37-40.

୧୩ स्मारक में हाज़िर होने की और भी वजह हैं। आइए इस बारे में जानें।

ସ୍ମାରକରେ ଉପସ୍ଥିତ ହେବାର ଆହୁରି କାରଣ

୧୪. ଯିହୋବା ଓ ଯୀଶୁଙ୍କ ପ୍ରେମର ସବୁଠାରୁ ବଡ଼ ପ୍ରମାଣ କʼଣ ?

୧୪ हम यहोवा और यीशु का एहसान मानते हैं। यहोवा ने हमारे लिए बहुत कुछ किया है, जिनसे पता चलता है कि वह हमसे प्यार करता है। उसके प्यार का सबसे बड़ा सबूत है कि उसने अपना इकलौता बेटा हमारी खातिर कुरबान कर दिया। (यूह. 3:16) यीशु भी हमसे बहुत प्यार करता है, इसलिए उसने खुशी-खुशी हमारी खातिर अपनी जान दे दी। (यूह. 15:13) हम यहोवा और यीशु का यह एहसान कभी नहीं चुका सकते। लेकिन हम जिस तरह अपनी ज़िंदगी जीते हैं, उससे दिखा सकते हैं कि हम उनका एहसान मानते हैं। (कुलु. 3:15) स्मारक में हाज़िर होकर भी हम उनका एहसान मान सकते हैं और उन्हें जता सकते हैं कि हम उनसे प्यार करते हैं।

୧୫. ଅଭିଷିକ୍ତ ଖ୍ରୀଷ୍ଟିୟାନ ଓ ଅନ୍ୟ ମେଷ ପଲର ଲୋକମାନେ ମୁକ୍ତିର ମୂଲ୍ୟକୁ କାହିଁକି ବହୁମୂଲ୍ୟ ମନେ କରନ୍ତି ?

୧୫ हम फिरौती को अनमोल समझते हैं। (मत्ती 20:28) अभिषिक्‍त मसीहियों के लिए फिरौती बहुत अनमोल है, क्योंकि इसी की वजह से उन्हें लाजवाब आशा मिली है। वे फिरौती पर विश्‍वास करते हैं, इसलिए यहोवा ने उन्हें नेक ठहराया है और अपने बेटों के नाते गोद लिया है। (रोमि. 5:1; 8:15-17, 23) दूसरी भेड़ों के लोग भी फिरौती को अनमोल समझते हैं। फिरौती पर विश्‍वास करने की वजह से वे परमेश्‍वर की नज़र में शुद्ध रह पाते हैं और उसकी पवित्र सेवा कर पाते हैं। इतना ही नहीं, उन्हें ‘महा-संकट से निकलने’ की आशा मिली है। (प्रका. 7:13-15) हर साल जब अभिषिक्‍त मसीही और दूसरी भेड़ों के लोग स्मारक में हाज़िर होते हैं, तो यह यीशु के बलिदान के लिए एहसान जताने का उनका एक तरीका होता है।

୧୬. ଆମେ ଆଉ କେଉଁ କାରଣ ଯୋଗୁଁ ସ୍ମାରକରେ ଉପସ୍ଥିତ ହେଉ ?

୧୬ हम यीशु की आज्ञा मानना चाहते हैं। जिस रात यीशु ने स्मारक की शुरूआत की, उसने आज्ञा दी, “मेरी याद में ऐसा ही किया करना।” (1 कुरिं. 11:23, 24) हम सब यीशु की यह बात मानना चाहते हैं, फिर चाहे हमारी आशा स्वर्ग में जीने की हो या धरती पर।

ସ୍ମାରକରେ ଉପସ୍ଥିତ ହେବାର ଲାଭ

୧୭. ସ୍ମାରକରେ ଉପସ୍ଥିତ ହେବା ଦ୍ୱାରା ଆମେ ଯିହୋବାଙ୍କ ଆହୁରି ନିକଟବର୍ତ୍ତୀ କିପରି ହେଉ ?

୧୭ हम यहोवा के और करीब आ पाते हैं। (याकू. 4:8) जब हम स्मारक में आते हैं, तो हम सोच पाते हैं कि यहोवा ने हमें कितनी बढ़िया आशा दी है और वह हमसे कितना प्यार करता है। (यिर्म. 29:11; 1 यूह. 4:8-10) इन बातों के बारे में गहराई से सोचने से यहोवा के लिए हमारा प्यार बढ़ता है और उसके साथ हमारा रिश्‍ता और गहरा हो जाता है।​—रोमि. 8:38, 39.

୧୮. ଯୀଶୁଙ୍କ ବିଷୟରେ ଚିନ୍ତନ କଲେ ଆମକୁ କʼଣ କରିବା ପାଇଁ ପ୍ରୋତ୍ସାହନ ମିଳେ ?

୧୮ हमें यीशु की तरह बनने का बढ़ावा मिलता है। (1 पत. 2:21) स्मारक से पहले, हम यीशु के आखिरी हफ्ते के बारे में, उसकी मौत के बारे में और उसके ज़िंदा होने के बारे में पढ़ते और सोचते हैं। फिर स्मारक की शाम को जो भाषण दिया जाता है, उसमें हमें यीशु के प्यार के बारे में याद दिलाया जाता है। (इफि. 5:2; 1 यूह. 3:16) इन सबसे हमें बढ़ावा मिलता है कि हम ‘वैसे ही जीएँ जैसे यीशु जीया था।’​—1 यूह. 2:6.

୧୯. ଈଶ୍ୱରଙ୍କ ପ୍ରେମରେ ସ୍ଥିର ହୋଇ ରହିବା ପାଇଁ ଆମକୁ କʼଣ କରିବାକୁ ହେବ ?

୧୯ परमेश्‍वर के प्यार के लायक बने रहने का हमारा इरादा और पक्का होता है। (यहू. 20, 21) अगर हम यहोवा की आज्ञा मानें, उसके नाम को पवित्र करें और उसका दिल खुश करें, तो हम उसके प्यार के लायक बने रह पाएँगे। (नीति. 27:11; मत्ती 6:9; 1 यूह. 5:3) स्मारक में आने से हमारा इरादा पक्का होता है कि हम हर दिन ऐसे जीएँ कि यहोवा से कह सकें, ‘मैं हमेशा आपके प्यार के लायक बने रहना चाहता हूँ!’

୨୦. ଆମେ ସ୍ମାରକରେ କାହିଁକି ଉପସ୍ଥିତ ହେବା ଉଚିତ୍‌ ?

୨୦ हमारी आशा स्वर्ग में जीने की हो या धरती पर, हम सबको हर साल स्मारक में आना चाहिए। स्मारक में हम याद करते हैं कि यीशु हमारे लिए क्यों मरा। हम यह भी याद करते हैं कि यहोवा ने अपने बेटे की कुरबानी देकर हमसे कितना प्यार किया। इस साल स्मारक शुक्रवार, 15 अप्रैल, 2022 की शाम को मनाया जाएगा। हम यहोवा और यीशु से बहुत प्यार करते हैं, इसलिए आइए हम हर हाल में स्मारक में हाज़िर हों।

ଗୀତ ୧୬ अभिषिक्‍त बेटे के लिए याह की तारीफ करें!

[फुटनोट]

a हमारी आशा स्वर्ग में जीने की हो या धरती पर, हर साल हम सब बेसब्री से स्मारक का इंतज़ार करते हैं। इस लेख में हम बाइबल से जानेंगे कि हम स्मारक में क्यों हाज़िर होते हैं और ऐसा करने के क्या फायदे हैं।

b बाइबल के दूसरे अनुवादों में इन शब्दों को इस तरह लिखा गया है, “मेरे स्मरण के लिए यही किया करो” (हिंदी​—ओ.वी.) और “यह मेरी स्मृति में किया करो” (वाल्द-बुल्के अनुवाद )।

c नए करार और राज के करार के बारे में और जानने के लिए 15 अक्टूबर, 2014 की प्रहरीदुर्ग के पेज 15-17 पर दिया लेख “तुम ‘याजकों का राज्य’ ठहरोगे” पढ़ें।

d इस भविष्यवाणी के बारे में और जानने के लिए सारी धरती पर यहोवा की शुद्ध उपासना बहाल! किताब के पेज 130-135 पर पैरा. 3-17 पढ़ें।