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ଅଧ୍ୟୟନ ଲେଖା ୫

ନିଜ ସମୟର ସଠିକ୍‌ ବ୍ୟବହାର କରନ୍ତୁ

ନିଜ ସମୟର ସଠିକ୍‌ ବ୍ୟବହାର କରନ୍ତୁ

‘ଅଜ୍ଞାନ ପରି ନ ହୋଇ ଜ୍ଞାନୀ ପରି ନିଜ ନିଜ ଆଚରଣ ସମ୍ବନ୍ଧରେ ବିଶେଷ ସାବଧାନ ହୁଅ, ସୁଯୋଗର ସଦ୍‌ବ୍ୟବହାର କର ।’​ଏଫି. ୫:୧୫, ୧୬.

ଗୀତ ୮ यहोवा हमारा गढ़ है

ଲେଖାର ଝଲକ a

୧. ଯିହୋବାଙ୍କ ସହ ସମୟ ବିତାଇବା ପାଇଁ ଆମେ କʼଣ କରୁ ?

 जो लोग हमारे दिल के करीब होते हैं, उनके साथ वक्‍त बिताना हमें बहुत अच्छा लगता है। जैसे, पति-पत्नियों को अकेले में वक्‍त बिताना, नौजवानों को दोस्तों के साथ घूमना-फिरना और हम सबको मंडली के भाई-बहनों के साथ मिलना-जुलना अच्छा लगता है। लेकिन हमें सबसे ज़्यादा अच्छा तब लगता है, जब हम यहोवा के साथ वक्‍त बिताते हैं। यह हम कैसे करते हैं? जब हम उससे प्रार्थना करते हैं, उसका वचन बाइबल पढ़ते हैं और उसके मकसद और गुणों के बारे में मनन करते हैं। सच में, यहोवा के साथ हम जो वक्‍त बिताते हैं, वह बहुत ही खास होता है!​—भज. 139:17.

୨. ଯିହୋବାଙ୍କ ପାଇଁ ସମୟ ବାହାର କରିବା କାହିଁକି କଷ୍ଟ ହୋଇପାରେ ?

यहोवा के लिए वक्‍त निकालना कभी-कभार हमें मुश्‍किल लग सकता है। हर दिन हमें बहुत-से काम होते हैं, जैसे नौकरी पर जाना, परिवार की देखभाल करना और दूसरी ज़िम्मेदारियाँ निभाना। इन ज़िम्मेदारियों की वजह से शायद हमें लगे कि प्रार्थना, अध्ययन और मनन करने के लिए हमारे पास वक्‍त ही नहीं है।

୩. ଆଉ କେଉଁ କାରଣ ଯୋଗୁଁ ଯିହୋବାଙ୍କ ପାଇଁ ସମୟ ବାହାର କରିବା କଷ୍ଟ ହୋଇପାରେ ?

कुछ और भी चीज़ें हैं जिन्हें करना गलत नहीं है। लेकिन अगर हम उनमें ज़्यादा वक्‍त बिताएँगे, तो यहोवा के लिए वक्‍त नहीं निकाल पाएँगे। उदाहरण के लिए, मनोरंजन। यह सच है कि हमें थोड़ा आराम करना चाहिए, अच्छा मनोरंजन करना चाहिए। लेकिन अगर हम उसमें ज़्यादा वक्‍त बिताएँगे, तो हमारे पास यहोवा के लिए वक्‍त नहीं बचेगा। हमें याद रखना चाहिए कि मनोरंजन ही सबकुछ नहीं है।​—नीति. 25:27; 1 तीमु. 4:8.

୪. ଏହି ଲେଖାରେ ଆମେ କʼଣ ଆଲୋଚନା କରିବା ?

इस लेख में हम जानेंगे कि हमें क्यों तय करना है कि कौन-सा काम सबसे ज़रूरी है। हम यह भी जानेंगे कि यहोवा के साथ अच्छा वक्‍त बिताने के लिए हमें क्या करना होगा और ऐसा करने के क्या फायदे हैं।

ସଠିକ୍‌ ନିଷ୍ପତ୍ତି ନିଅନ୍ତୁ ଓ ଜରୁରୀ ବିଷୟକୁ ମହତ୍ତ୍ୱ ଦିଅନ୍ତୁ

୫. ଏଫିସୀୟ ୫:୧୫-୧୭ ପଦକୁ ପଢ଼ି ଜଣେ ଯୁବା କିପରି ସଠିକ୍‌ ଚାକିରି କିମ୍ବା କାମ ବାଛିପାରିବ ?

आप ज़िंदगी में क्या करेंगे, इस बारे में सही फैसला लीजिए। नौजवानों को अकसर अपने करियर की चिंता होती है। एक तरफ, स्कूल के टीचर और ऐसे रिश्‍तेदार, जो यहोवा के साक्षी नहीं हैं, शायद उन्हें बढ़ावा दें कि वे कॉलेज या यूनिवर्सिटी में जाएँ, ताकि आगे चलकर उन्हें अच्छी नौकरी मिले और वे खूब सारा पैसा कमाएँ। लेकिन इस तरह की पढ़ाई में सालों लग सकते हैं। दूसरी तरफ, उनके माता-पिता जो साक्षी हैं और मंडली के भाई-बहन शायद उन्हें बढ़ावा दें कि वे अपनी ज़िंदगी यहोवा की सेवा में लगाएँ। अगर एक नौजवान यहोवा से प्यार करता है, तो वह सही फैसला लेने के लिए क्या कर सकता है? वह इफिसियों 5:15-17 पढ़ सकता है और उस पर मनन कर सकता है। (पढ़िए।) वह खुद से पूछ सकता है, ‘मेरे लिए “यहोवा की मरज़ी” क्या है? मैं कौन-सा करियर चुनूँ, जिससे वह खुश हो और मैं अपने वक्‍त का सही इस्तेमाल कर सकूँ?’ हम सबको याद रखना चाहिए कि “दिन बुरे हैं” और बहुत जल्द शैतान की इस दुनिया का अंत होनेवाला है। इसलिए समझदारी इसी में होगी कि हम अपनी ज़िंदगी इस तरह जीएँ, जिससे यहोवा का दिल खुश हो।

୬. ମରୀୟମ କʼଣ କଲେ ଏବଂ ଏପରି କରିବା କାହିଁକ ଠିକ୍‌ ଥିଲା ?

ज़रूरी बातों को अहमियत दीजिए। मान लीजिए हमें दो काम करने हैं और दोनों काम करना गलत नहीं है। लेकिन हमारे पास ज़्यादा वक्‍त नहीं है। ऐसे में हमें वह काम करना चाहिए जो ज़्यादा ज़रूरी है और दूसरा काम छोड़ देना चाहिए। इसे समझने के लिए आइए देखें कि जब यीशु मारथा और उसकी बहन मरियम के घर गया था, तब क्या हुआ। यीशु के आने से मारथा बहुत खुश थी और वह यीशु के लिए बहुत कुछ बनाना चाहती थी। लेकिन मरियम उसकी मदद करने के बजाय यीशु के पास बैठ गयी और उसकी बातें सुनने लगी। हालाँकि मारथा यीशु के लिए जो करना चाहती थी वह गलत नहीं था, लेकिन यीशु ने कहा कि मरियम ने “सबसे बढ़िया भाग चुना है।” (लूका 10:38-42, फु.) कुछ समय बाद मरियम शायद भूल गयी होगी कि उस दिन उसने क्या खाया था, लेकिन उसे यह ज़रूर याद रहा होगा कि उसने यीशु से क्या सीखा था। मरियम ने यीशु के साथ भले ही थोड़ा समय बिताया, पर वह उसके लिए बहुत खास था। उसी तरह, हम यहोवा के साथ जो वक्‍त बिताते हैं, वह हमारे लिए बहुत खास है। इसलिए हमें उसका अच्छा इस्तेमाल करना चाहिए। आइए जानें कैसे।

ଯିହୋବାଙ୍କ ସହିତ ଭଲ ସମୟ ବିତାନ୍ତୁ

୭. ପ୍ରାର୍ଥନା, ଅଧ୍ୟୟନ ଓ ଚିନ୍ତନ କରିବା କାହିଁକି ଜରୁରୀ ଅଟେ ?

याद रखिए कि प्रार्थना, अध्ययन और मनन हमारी उपासना का भाग हैं। जब हम प्रार्थना करते हैं, तो हम अपने पिता यहोवा से बात करते हैं, जो हमसे बहुत प्यार करता है। (भज. 5:7) जब हम बाइबल का अध्ययन करते हैं, तो हम उस “परमेश्‍वर का ज्ञान” लेते हैं, जो बुद्धि का स्रोत है। (नीति. 2:1-5) जब हम मनन करते हैं, तो हम यहोवा के बढ़िया गुणों के बारे में सीख पाते हैं और याद रख पाते हैं कि वह हम इंसानों के लिए क्या करनेवाला है। क्या इनसे अच्छा और कोई काम हो सकता है? इसलिए हम इन कामों में जो वक्‍त बिताते हैं, हमें उसका अच्छा इस्तेमाल करना चाहिए। इसके लिए हमें क्या करना होगा?

क्या आप किसी शांत जगह पर निजी अध्ययन कर सकते हैं? (पैराग्राफ 8-9 पढ़ें)

୮. (କ) ଯୀଶୁ ପ୍ରାନ୍ତରକୁ କାହିଁକି ଗଲେ ? (ଖ) ଏଥିରୁ ଆମେ କʼଣ ଶିଖୁ ?

हो सके तो एक शांत जगह चुनिए। यीशु का उदाहरण लीजिए। धरती पर अपनी सेवा शुरू करने से पहले उसने 40 दिन वीराने में बिताए। (लूका 4:1, 2) उस शांत माहौल में यीशु यहोवा से प्रार्थना कर पाया और सोच पाया कि उसके लिए यहोवा की क्या मरज़ी है। इस वजह से यीशु उन मुश्‍किलों के लिए तैयार हो पाया, जो उस पर जल्द आनेवाली थीं। यीशु से हम क्या सीखते हैं? अगर आपके परिवार में बहुत-से लोग हैं, तो घर में एक शांत जगह ढूँढ़ना शायद मुश्‍किल हो। ऐसे में आप बाहर किसी शांत जगह जा सकते हैं। बहन जूली ऐसा ही करती है। वह अपने पति के साथ फ्रांस में एक छोटे-से घर में रहती है। उसके लिए अकेले में और बिना रोक-टोक के यहोवा से प्रार्थना करना मुश्‍किल है। जूली कहती है, “मैं हर दिन पार्क में जाती हूँ। वहाँ में अकेले में यहोवा से दिल खोलकर बात कर पाती हूँ।”

୯. ବ୍ୟସ୍ତ ଥିବା ସତ୍ତ୍ୱେ ଯୀଶୁ କʼଣ କଲେ ?

यीशु बहुत व्यस्त रहता था। वह जहाँ भी जाता था, लोगों की भीड़ जमा हो जाती थी और उसे सबको वक्‍त देना पड़ता था। एक बार यीशु जहाँ ठहरा था, वहाँ ‘पूरा शहर जमा हो गया।’ तब भी उसने यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता मज़बूत करने के लिए वक्‍त निकाला। अगले दिन सूरज निकलने से पहले वह “किसी एकांत जगह” गया और वहाँ उसने यहोवा से प्रार्थना की।​—मर. 1:32-35.

୧୦-୧୧. ମାଥିଉ ୨୬:୪୦, ୪୧ ପଦ ଅନୁସାରେ, ଯୀଶୁ ନିଜ ଶିଷ୍ୟମାନଙ୍କୁ କʼଣ କରିବାକୁ କହିଲେ କିନ୍ତୁ ସେମାନେ କʼଣ କଲେ ?

୧୦ अपनी ज़िंदगी की आखिरी रात, यीशु फिर से मनन और प्रार्थना करने के लिए एक शांत जगह गया। वह अपने चेलों के साथ गतसमनी बाग में गया। (मत्ती 26:36) उस रात उसने अपने चेलों को एक ज़रूरी बात बतायी।

୧୧ जब वे गतसमनी बाग पहुँचे, तो शायद आधी रात हो चुकी थी। यीशु ने अपने चेलों से कहा, “जागते रहो” और फिर वह प्रार्थना करने के लिए चला गया। (मत्ती 26:37-39) इस बीच उसके चेले सो गए। जब यीशु वापस आया तो उसने चेलों से कहा, “जागते रहो और प्रार्थना करते रहो।” (मत्ती 26:40, 41 पढ़िए।) यीशु ने यह भी कहा कि “शरीर कमज़ोर है,” यानी वह जानता था कि उसके चेले बहुत परेशान और थके हुए हैं। इसके बावजूद यीशु ने उनसे कहा कि वे प्रार्थना करते रहें। लेकिन इसके बाद जब यीशु दो बार प्रार्थना करके लौटा, तो उसने देखा कि उसके चेले प्रार्थना करने के बजाय सो रहे हैं।​—मत्ती 26:42-45.

क्या आप तब प्रार्थना कर सकते हैं, जब आप ज़्यादा थके न हों? (पैराग्राफ 12 पढ़ें)

୧୨. ଯେତେବେଳେ ଆମକୁ ଲାଗେ ଯେ ଆମେ ପ୍ରାର୍ଥନା କରିପାରିବା ନାହିଁ, ସେତେବେଳେ ଆମେ କʼଣ କରିବା ଉଚିତ୍‌ ?

୧୨ सही समय चुनिए। कई बार हम इतने थके होते हैं कि प्रार्थना नहीं कर पाते। तो हम क्या कर सकते हैं? हम प्रार्थना करने का वक्‍त बदल सकते हैं। कुछ लोग रात को प्रार्थना करते थे, लेकिन तब वे बहुत थके होते थे। इसलिए उन्होंने शाम का वक्‍त चुना। इसके अलावा, हम सीधे बैठकर या घुटने टेककर भी प्रार्थना कर सकते हैं। कई लोग ऐसा ही करते हैं। इस तरह वे ज़्यादा ध्यान दे पाते हैं। लेकिन कई बार हो सकता है कि हम बहुत परेशान हों या निराश हों और प्रार्थना करने का हमारा मन न करे। तब भी हमें प्रार्थना करनी चाहिए और यहोवा को अपने दिल की बात बतानी चाहिए। हम यकीन रख सकते हैं कि यहोवा हमारी भावनाएँ ज़रूर समझेगा।​—भज. 139:4.

अगर ज़रूरी न हो तो सभाओं के दौरान ई-मेल या मैसेज न करें (पैराग्राफ 13-14 पढ़ें)

୧୩. ଯିହୋବାଙ୍କ ସହିତ ସମୟ ବିତାଇବା ବେଳେ ଇଲେକ୍‌ଟ୍ରୋନିକ୍‌ ଉପକରଣଗୁଡ଼ିକ କିପରି ଆମର ଧ୍ୟାନ ଭାଙ୍ଗିପାରେ ?

୧୩ अपना ध्यान भटकने मत दीजिए। यहोवा के साथ गहरी दोस्ती करने के लिए सिर्फ प्रार्थना करना काफी नहीं है। हमें बाइबल का अध्ययन करना होगा और सभाओं में जाना होगा। लेकिन हम ऐसा क्या कर सकते हैं ताकि हम ध्यान लगाकर अध्ययन कर सकें और सभाओं में सुन सकें? हमें खुद से पूछना चाहिए, ‘किन बातों से मेरा ध्यान भटक सकता है?’ स्मार्टफोन और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बहुत काम की चीज़ें हैं और आज ये लाखों लोगों के पास हैं। लेकिन यहोवा के साथ वक्‍त बिताते समय जब कोई हमें फोन करता है या ई-मेल या मैसेज भेजता है, तो शायद हमारा ध्यान भटक जाए। सम्मेलन और अधिवेशन की शुरूआत में हमसे अकसर कहा जाता है कि हम अपने फोन, टैबलेट को ऐसी सैटिंग पर रखें, जिससे दूसरों का ध्यान न भटके। क्या यहोवा के साथ वक्‍त बिताते समय भी हम ऐसा कर सकते हैं, ताकि हमारा ध्यान न भटके? इलेक्ट्रॉनिक उपकरण एक और तरीके से हमारा ध्यान भटका सकते हैं। कुछ खोजकर्ताओं ने बताया है कि अगर हमारा फोन न भी बजे मगर हमारे पास हो, तो उससे भी हमारा ध्यान भटक सकता है। उनमें से एक खोजकर्ता ने कहा, “फोन पास में रखने से हमारा ध्यान काम पर नहीं रहता बल्कि दूसरी बातों पर चला जाता है। जैसे, हम सोचने लगते हैं कि वे लोग क्या कर रहे होंगे जिनका नंबर हमारे फोन में है।”

୧୪. ଫିଲିପ୍ପୀୟ ୪:୬, ୭ ପଦ ଅନୁସାରେ, ଧ୍ୟାନ ଲଗାଇବା ପାଇଁ ଆମେ କʼଣ କରିବା ଉଚିତ୍‌ ?

୧୪ ध्यान लगाने के लिए यहोवा से मदद माँगिए। अध्ययन या सभा के दौरान, जब आपका ध्यान भटकने लगे, तो यहोवा से मदद माँगिए। अगर आप किसी बात को लेकर परेशान हैं, तब भी ध्यान लगाने की पूरी कोशिश कीजिए। यहोवा से प्रार्थना कीजिए और उससे शांति माँगिए। परमेश्‍वर की शांति न सिर्फ आपके दिल की बल्कि आपके “दिमाग के सोचने की ताकत” की भी हिफाज़त करेगी।​—फिलिप्पियों 4:6, 7 पढ़िए

ଯିହୋବାଙ୍କ ସହିତ ସମୟ ବିତାଇବା କାହିଁକି ଭଲ ଅଟେ

୧୫. ଯିହୋବାଙ୍କ ସହିତ ସମୟ ବିତାଇବାର ଗୋଟିଏ ଲାଭ କʼଣ ?

୧୫ अगर आप वक्‍त निकालकर यहोवा से बात करें, उसकी सुनें और उसके बारे में सोचें, तो आपको कई फायदे होंगे। एक है, आप अच्छे फैसले ले पाएँगे। बाइबल में लिखा है, “बुद्धिमानों के साथ रहनेवाला बुद्धिमान बनेगा।” (नीति. 13:20) यहोवा से बढ़कर बुद्धिमान और कोई नहीं है, इसलिए अगर आप उसके साथ वक्‍त बिताएँ तो आप और भी बुद्धिमान बनेंगे। आप जान पाएँगे कि किन कामों से उसे खुशी मिलती है और किन कामों से उसे दुख होता है। फिर आप सही फैसले ले पाएँगे।

୧୬. ଯିହୋବାଙ୍କ ସହିତ ସମୟ ବିତାଇବାର ଦ୍ୱିତୀୟ ଲାଭ କʼଣ ?

୧୬ दूसरा फायदा, आप दूसरों को अच्छी तरह सिखा पाएँगे। जब हम बाइबल अध्ययन कराते हैं, तो हम चाहते हैं कि हमारा विद्यार्थी यहोवा के करीब आए। इसके लिए हमें क्या करना होगा? हमें यहोवा से ज़्यादा-से-ज़्यादा बात करनी होगी, तभी उसके लिए हमारा प्यार बढ़ेगा और हम अपने विद्यार्थी को उससे प्यार करना सिखा पाएँगे। यीशु का ही उदाहरण लीजिए। वह यहोवा को अच्छी तरह जानता था और उससे बहुत प्यार करता था। इसलिए उसने चेलों को यहोवा के बारे में इस तरह बताया कि वे भी यहोवा से प्यार करने लगे।​—यूह. 17:25, 26.

୧୭. ଯିହୋବାଙ୍କ ସହିତ ସମୟ ବିତାଇବା ଦ୍ୱାରା ଆମ ବିଶ୍ୱାସ କିପରି ବଢ଼େ ?

୧୭ तीसरा फायदा, आपका विश्‍वास बढ़ेगा। हर बार जब आप यहोवा से सलाह या मदद माँगते हैं और वह जवाब देता है, तो उस पर आपका विश्‍वास बढ़ता है। (1 यूह. 5:15) विश्‍वास बढ़ाने के लिए आपको बाइबल का अध्ययन भी करना होगा, क्योंकि “संदेश सुनने के बाद ही विश्‍वास किया जाता है।” (रोमि. 10:17) लेकिन अध्ययन करके सिर्फ ज्ञान लेना काफी नहीं है, कुछ और भी करना होगा।

୧୮. ଗୋଟିଏ ଉଦାହରଣ ଦେଇ ବୁଝାନ୍ତୁ ଯେ ଚିନ୍ତନ କରିବା କାହିଁକି ଜରୁରୀ ।

୧୮ हमें सीखी बातों पर मनन करना होगा। भजन 77 के लिखनेवाले के उदाहरण पर गौर कीजिए। उसे लगा कि यहोवा उससे और दूसरे इसराएलियों से नाराज़ है। इसलिए वह इतना परेशान हो गया कि उसकी रातों की नींद उड़ गयी। (आयत 2-8) अपना विश्‍वास बढ़ाने के लिए उसने क्या किया? उसने यहोवा से कहा, “मैं तेरे सभी कामों पर मनन करूँगा, उन पर गहराई से सोचूँगा।” (आयत 12) हालाँकि उसे पता तो था कि यहोवा ने बीते कल में अपने लोगों के लिए क्या किया है, फिर भी उसके मन में यह सवाल आया, “क्या परमेश्‍वर हम पर कृपा करना भूल गया है? क्या उसने गुस्से में आकर दया करना छोड़ दिया है?” (आयत 9) लेकिन जब उसने यहोवा के कामों पर मनन किया और गहराई से सोचा कि यहोवा ने कैसे बीते कल में अपने लोगों पर दया और करुणा की, तो उसे यकीन हो गया कि यहोवा अपने लोगों को कभी नहीं छोड़ेगा। (आयत 11, 15) उसी तरह, सिर्फ यह जानना काफी नहीं है कि यहोवा ने अपने लोगों के लिए अब तक क्या किया है और उसने आपके लिए क्या किया है, बल्कि इन बातों पर मनन भी करना होगा। तभी आपका विश्‍वास बढ़ेगा।

୧୯. ଯିହୋବାଙ୍କ ସହିତ ସମୟ ବିତାଇବାର ସବୁଠାରୁ ବଡ଼ ଲାଭ କʼଣ ?

୧୯ चौथा और सबसे बड़ा फायदा, यहोवा के लिए आपका प्यार और गहरा होगा। यही प्यार आपको उभारेगा कि आप यहोवा की बात मानें, उसे खुश करने के लिए त्याग करें और मुश्‍किलें सहें। (मत्ती 22:37-39; 1 कुरिं. 13:4, 7; 1 यूह. 5:3) यहोवा के साथ हमारी दोस्ती से ज़्यादा कीमती और कुछ नहीं है!​—भज. 63:1-8.

୨୦. ଯିହୋବାଙ୍କ ସହିତ ଭଲ ସମୟ ବିତାଇବା ପାଇଁ ଆପଣ କʼଣ କରିବେ ?

୨୦ याद रखिए कि प्रार्थना, अध्ययन और मनन हमारी उपासना का भाग हैं। यीशु की तरह एक शांत जगह जाकर यहोवा के साथ वक्‍त बिताइए। ध्यान भटकानेवाली चीज़ों को दूर रखिए। अगर मन भटकने लगे, तो यहोवा से मदद माँगिए। अगर आप अपने समय का अच्छा इस्तेमाल करें, तो यहोवा आपको नयी दुनिया में हमेशा की ज़िंदगी देगा।​—मर. 4:24.

ଗୀତ ୨୮ कौन है यहोवा का दोस्त?

[तळटीपा]

a यहोवा हमारा सबसे अच्छा दोस्त है और हम यह दोस्ती कभी नहीं खोना चाहते। हम उसके और करीब आना चाहते हैं, उसे और अच्छी तरह जानना चाहते हैं। किसी को जानने में वक्‍त लगता है। उसी तरह, यहोवा को जानने में भी वक्‍त लगता है। लेकिन भाग-दौड़ की इस ज़िंदगी में हम यहोवा को जानने के लिए वक्‍त कैसे निकाल सकते हैं और ऐसा करना क्यों अच्छा है?