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अध्ययन लेख 31

अटलु ऐं मज़बूत रहो

अटलु ऐं मज़बूत रहो

“मेरे प्यारे भाइयो, अटल बनो, डटे रहो।”​—1 कुरिं. 15:58.

गीत 122 अटल रहें!

एक झलक a

1-2. हिकु मसीह कीअं हिक ऊँची इमारत वांगुर आहे? (1 कुरिंथियों 15:58)

 सन्‌ 1978 में जापान के टोक्यो शहर में एक 60-मंज़िला इमारत बनायी गयी। वहाँ आए दिन भूकंप आते रहते हैं, इसलिए लोग सोचने लगे कि यह इमारत कैसे टिक पाएगी। पर वह टिकी रही। असल में उसका डिज़ाइन इस तरह तैयार किया गया था कि वह मज़बूत भी हो और थोड़ी लचीली भी, ताकि भूकंप के झटके झेल सके। देखा जाए तो मसीही भी इस ऊँची इमारत की तरह हैं। वह कैसे?

2 एक मसीही को अटल और मज़बूत बने रहना चाहिए, पर साथ ही झुकने या फेरबदल करने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। जब यहोवा के नियम-कानून मानने और उसके स्तरों पर चलने की बात आती है, तो उसे ठान लेना चाहिए कि वह हर हाल में ऐसा करेगा। (1 कुरिंथियों 15:58 पढ़िए।) उसे यहोवा की “आज्ञा मानने के लिए तैयार” रहना चाहिए और कभी-भी उसके स्तरों से समझौता नहीं करना चाहिए। पर साथ ही उसे ‘लिहाज़ करनेवाला’ इंसान भी होना चाहिए और जब ज़रूरत पड़े और मुनासिब हो, तो फेरबदल करने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। (याकू. 3:17) ऐसा मसीही लकीर का फकीर नहीं होता और ना ही यह सोचता है कि सब चलता है। इस लेख में हम जानेंगे कि हम कैसे अटल बने रह सकते हैं। फिर हम ऐसे पाँच तरीकों पर गौर करेंगे जिनसे शैतान अटल रहने का हमारा इरादा कमज़ोर करने की कोशिश करता है और जानेंगे कि हम कैसे उसकी चालें नाकाम कर सकते हैं।

असां कीअं अटलु रही सघूं था?

3. प्रेषितों 15:28, 29 में यहोवा जा कहिड़ा कानून ॾिनल आहिनि?

3 यहोवा के पास सबसे ज़्यादा यह अधिकार है कि वह नियम-कानून बनाए और उसने अपने लोगों के लिए एकदम साफ-साफ नियम-कानून दिए हैं। (यशा. 33:22) उदाहरण के लिए, पहली सदी के शासी निकाय ने तीन ऐसे मामलों के बारे में बताया जिनमें मसीहियों को अटल रहना चाहिए: (1) उन्हें मूर्तिपूजा से दूर रहना है और सिर्फ यहोवा की भक्‍ति करनी है, (2) खून को पवित्र मानना है और (3) बाइबल में बताए ऊँचे नैतिक स्तरों के हिसाब से जीना है। (प्रेषितों 15:28, 29 पढ़िए।) आज मसीही इन तीनों मामलों में कैसे अटल रह सकते हैं?

4. असां कीअं सिर्फ यहोवा जी भक्‍ति कंदा आहियूं? (प्रकाशितवाक्य 4:11)

4 हम मूर्तिपूजा से दूर रहते हैं और सिर्फ यहोवा की भक्‍ति करते हैं। यहोवा ने इसराएलियों को आज्ञा दी थी कि वे सिर्फ उसकी भक्‍ति करें। (व्यव. 5:6-10) और जब शैतान ने यीशु को फुसलाने की कोशिश की, तो उसने साफ-साफ कहा कि हमें सिर्फ यहोवा की उपासना करनी चाहिए। (मत्ती 4:8-10) इसलिए हम मूर्तियों को नहीं पूजते। हम इंसानों को भी ईश्‍वर का दर्जा नहीं देते, फिर चाहे वे धर्म गुरु हों, बड़े-बड़े राजनेता, खिलाड़ी या फिल्मी सितारे। हमारा परमेश्‍वर यहोवा है और हम सिर्फ उसकी भक्‍ति करते हैं, क्योंकि उसी ने “सारी चीज़ें रची हैं।”​प्रकाशितवाक्य 4:11 पढ़िए।

5. असां जीवन ऐं खून खे छो पवित्र मञींदा आहियूं?

5 हम यहोवा के कानून के मुताबिक जीवन और खून को पवित्र मानते हैं। क्यों? क्योंकि जीवन यहोवा से मिला एक अनमोल तोहफा है और खून जीवन की निशानी है। (लैव्य. 17:14) जब यहोवा ने पहली बार इंसानों को जानवरों का माँस खाने की इजाज़त दी, तो उसने उन्हें हिदायत दी कि वे खून ना खाएँ। (उत्प. 9:4) फिर जब उसने मूसा के ज़रिए इसराएलियों को कानून दिया, तब भी उसने यह आज्ञा दोहरायी। (लैव्य. 17:10) और पहली सदी में शासी निकाय के ज़रिए भी उसने यही हिदायत दी कि “खून से . . . हमेशा दूर रहो।” (प्रेषि. 15:28, 29) इसलिए आज जब हमें इलाज के मामले में कोई फैसला लेना होता है, तो हम यह आज्ञा हर हाल में मानते हैं। b

6. यहोवा जा ऊँचा नैतिक स्तर मञण लाइ असां कहिड़ा कदम खणंदा आहियूं?

6 हम हर हाल में यहोवा के ऊँचे नैतिक स्तरों को मानते हैं। (इब्रा. 13:4) प्रेषित पौलुस ने हमसे कहा कि हम अपने शरीर के अंगों को ‘मार डालें।’ इसका मतलब, हमें कुछ ठोस कदम उठाने हैं जिससे कि अगर हमारे मन में बुरी इच्छाएँ आएँ, तो हम फौरन उन्हें निकाल सकें। जैसे, हम ऐसी कोई चीज़ नहीं देखते या ऐसा कुछ नहीं करते, जिससे आगे चलकर हम अनैतिक काम कर बैठें। (कुलु. 3:5; अय्यू. 31:1) अगर हमारे मन में बुरे खयाल आते हैं, तो हम फौरन उन्हें अपने मन से निकाल देते हैं या अगर हमें गलत काम करने के लिए लुभाया जाता है, तो हम फौरन उसे ठुकरा देते हैं। हम नहीं चाहते कि किसी वजह से यहोवा के साथ हमारी दोस्ती टूट जाए।

7. असां खे छा ठानणु घुरिजे ऐं छो?

7 यहोवा चाहता है कि हम ‘दिल से आज्ञाकारी बनें।’ (रोमि. 6:17) उसकी आज्ञाएँ मानने से हमेशा हमारा भला होता है। लेकिन हम ऐसा नहीं कर सकते कि उसकी कुछ आज्ञाएँ मानें और कुछ नहीं। (यशा. 48:17, 18; 1 कुरिं. 6:9, 10) हमारी पूरी कोशिश रहती है कि हम हर बात में उसे खुश करें। भजन 119 के लेखक की तरह ‘हमने ठान लिया है, हम सारी ज़िंदगी परमेश्‍वर के नियम मानेंगे, आखिरी साँस तक मानते रहेंगे।’ (भज. 119:112) लेकिन शैतान हमारा यह इरादा कमज़ोर करने की कोशिश करता है। ऐसा करने के लिए वह कौन-सी चालें चलता है?

शैतान असां जो इरादो कमज़ोर करण जी कोशिश कंदो आहे

8. शैतान कीअं असां जे इरादे खे कमज़ोर करण जी कोशिश कंदो आहे?

8 ज़ुल्म। शैतान हमारा इरादा कमज़ोर करने के लिए अलग-अलग तरह से हम पर ज़ुल्म करता है। कई बार हमें मारा-पीटा जाता है, तो कई बार हम पर दबाव डाला जाता है कि हम परमेश्‍वर के स्तरों से समझौता कर लें। वह इस ताक में रहता है कि कब हमें “फाड़ खाए” यानी यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता तोड़ दे। (1 पत. 5:8) पहली सदी में मसीहियों को धमकाया गया, उन्हें मारा-पीटा गया और कइयों को तो जान से मार डाला गया। वह भी बस इसलिए कि उन्होंने ठान लिया था कि वे हर हाल में यहोवा की आज्ञा मानेंगे। (प्रेषि. 5:27, 28, 40; 7:54-60) शैतान आज भी परमेश्‍वर के लोगों पर ज़ुल्म कर रहा है। यह बात हम रूस और दूसरे देशों में साफ देख सकते हैं जहाँ भाई-बहनों को बहुत बेरहमी से सताया जा रहा है और उनका विरोध किया जा रहा है।

9. शैतान कीअं चालाकी सां हमलो कंदो आहे, हिक उदाहरण ॾेई ॿुधायो.

9 छिपकर किए जानेवाले हमले। शैतान हम पर सामने से हमले करने के अलावा ‘धूर्त चालें’ भी चलता है। (इफि. 6:11) ज़रा भाई बॉब के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। उनका एक बड़ा ऑपरेशन होना था, जिसके लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था। उन्होंने डॉक्टरों को बताया कि वे किसी भी हाल में खून नहीं चढ़वाएँगे। ऑपरेशन करनेवाला डॉक्टर उनकी बात से राज़ी हो गया। लेकिन फिर ऑपरेशन से एक रात पहले जब भाई बॉब के परिवारवाले घर चले गए, तब एक दूसरा डॉक्टर (बेहोशी का डॉक्टर) उनसे मिलने आया। उसने भाई बॉब से कहा कि वैसे तो खून चढ़ाने की नौबत नहीं आएगी, पर वे खून साथ में रखेंगे, ताकि ज़रूरत पड़े तो काम आ सके। शायद उस डॉक्टर ने सोचा हो कि जब बॉब के परिवारवाले नहीं होंगे, तो वे अपना मन बदल देंगे। लेकिन भाई बॉब अपने फैसले पर अटल रहे। उन्होंने डॉक्टर को साफ-साफ बताया कि उन्हें किसी भी हाल में खून ना दिया जाए।

10. दुनिया जी सोच छो खतरनाक आहे? (1 कुरिंथियों 3:19, 20)

10 दुनिया के लोगों की सोच। अगर हम दुनिया के लोगों की तरह सोचें, तो हम यहोवा से दूर जा सकते हैं और उसके स्तरों को नज़रअंदाज़ करने लग सकते हैं। (1 कुरिंथियों 3:19, 20 पढ़िए।) “दुनिया की बुद्धि” यानी दुनिया के लोगों की सोच है कि हम अपनी इच्छाएँ पूरी करें और परमेश्‍वर की ना सुनें। बीते ज़माने में पिरगमुन और थुआतीरा के लोगों की भी ऐसी ही सोच थी। वहाँ जिधर देखो उधर मूर्तिपूजा और अनैतिक काम हो रहे थे। और कुछ मसीहियों पर भी वहाँ के लोगों की सोच का असर होने लगा था और वे अनैतिक कामों को बरदाश्‍त करने लगे थे। इसलिए वहाँ की मंडलियों को यीशु ने सख्ती से सलाह दी। (प्रका. 2:14, 20) आज हम पर भी दुनिया की सोच अपनाने का दबाव आता है। शायद हमारे परिवारवाले या जान-पहचानवाले हमसे कहें कि हम कुछ ज़्यादा ही सख्ती बरत रहे हैं, थोड़ा-बहुत तो चलता है। जैसे, वे शायद कहें, ‘अपनी इच्छाएँ पूरी करने में क्या बुराई है? आज दुनिया कहाँ-से-कहाँ पहुँच गयी है और तुम अब भी बाइबल पकड़े बैठे हो!’

11. असां खे कहिड़ी ॻाल्हि में सावधान रहण घुरिजे?

11 कभी-कभी हमें शायद लगे कि यहोवा की तरफ से जो हिदायतें दी जाती हैं, उनसे समझ में नहीं आता कि क्या करना है और क्या नहीं। ऐसे में हम शायद ‘जो लिखा है उससे आगे जाने’ की या कुछ और नियम बनाने की सोचने लगें। (1 कुरिं. 4:6) यीशु के दिनों के धर्म गुरुओं ने भी यही गलती की थी। मूसा के ज़रिए दिए गए कानून के अलावा उन्होंने और भी नियम-कानून बना दिए थे। और इस तरह आम लोगों पर मानो भारी बोझ लाद दिया था। (मत्ती 23:4) यहोवा अपने वचन और अपने संगठन के ज़रिए हमें साफ-साफ हिदायतें देता है। हमें कुछ और नियम बनाने की कोई ज़रूरत नहीं है। (नीति. 3:5-7) इसलिए बाइबल में जो लिखा है, हम उससे ‘आगे नहीं जाते।’ या जिन मामलों में हरेक को खुद फैसला लेना है, उनमें हम भाई-बहनों के लिए कोई नियम नहीं बनाते।

12. शैतान कीअं ‘अजाई ऐं गुमराह कंदड़ ॻाल्हियूं’ फैलांईंदो आहे?

12 छलनेवाली बातें। शैतान ‘छलनेवाली खोखली बातों’ और “दुनिया की मामूली बातों” के ज़रिए लोगों को गुमराह करता है और उनमें फूट डालता है। (कुलु. 2:8) पहली सदी में भी उसने यही चाल चली थी। उस वक्‍त उसने कोशिश की कि लोग ऐसे दुनियावी फलसफों या बातों में उलझ जाएँ या ऐसी यहूदी शिक्षाओं को मानने लगें जो शास्त्र पर आधारित नहीं थीं। उस वक्‍त कुछ लोग यह शिक्षा भी फैला रहे थे कि मसीहियों को मूसा का कानून मानना चाहिए। ये गुमराह करनेवाली बातें थीं, क्योंकि इनकी वजह से लोग सच्ची बुद्धि के लिए यहोवा की ओर ताकने के बजाय इंसानों की ओर ताक रहे थे। आज शैतान सोशल मीडिया और टीवी, अखबार वगैरह के ज़रिए अफवाहें और झूठी खबरें फैलाकर लोगों को गुमराह करता है और इसमें कई बार नेताओं का भी हाथ रहता है। ऐसा हमने कोविड-19 महामारी के दौरान बहुत होते हुए देखा। c जिन लोगों ने ऐसी गुमराह करनेवाली बातों पर ध्यान दिया, उन्हें बेवजह चिंताओं का सामना करना पड़ा। लेकिन यहोवा के साक्षियों ने अपने संगठन से मिलनेवाली हिदायतों पर ध्यान दिया, इसलिए वे बेवजह चिंता करने से बच पाए।​—मत्ती 24:45.

13. असां जो ध्यान न भटके इन जे लाइ असां खे छो सावधान रहण घुरिजे?

13 ध्यान भटकानेवाली बातें। हमें ‘ज़्यादा अहमियत रखनेवाली बातों’ पर से ध्यान हटने नहीं देना चाहिए। (फिलि. 1:9, 10) अगर हम गैर-ज़रूरी बातों पर बहुत ज़्यादा ध्यान देने लगें, तो ज़्यादा ज़रूरी बातों के लिए हमारे पास समय ही नहीं बचेगा। यहाँ तक कि अगर हम खाने-पीने, मनोरंजन और नौकरी-पेशे जैसी बातों के बारे में बहुत ज़्यादा सोचने लगें, तो इनकी वजह से भी हमारा ध्यान भटक सकता है। (लूका 21:34, 35) इसके अलावा हर दिन हम सामाजिक और राजनीतिक मसलों के बारे में खबरें सुनते रहते हैं। इनके बारे में हर किसी की अलग-अलग राय है और वे इन मसलों पर बहस करते रहते हैं। हमें सावधान रहना चाहिए कि इन बातों से हमारा ध्यान भटक ना जाए, नहीं तो हम अपने मन में किसी का पक्ष लेने लग सकते हैं। याद रखिए, अभी हमने जिन पाँच मुद्दों पर चर्चा की, वे सभी शैतान की चालें हैं जिनसे वह सही काम करने का हमारा इरादा कमज़ोर करने की कोशिश करता है। अब आइए देखें कि हम कैसे शैतान की चालों को नाकाम कर सकते हैं और डटे रह सकते हैं।

असां कीअं मज़बूत रही सघूं था?

डटे रहने के लिए अपने समर्पण और बपतिस्मे के बारे में सोचिए, बाइबल का अध्ययन कीजिए और उस पर मनन कीजिए, अपना दिल मज़बूत कीजिए और यहोवा पर भरोसा रखिए (पैराग्राफ 14-18)

14. कहिड़ी ॻाल्हि असां जी मदद कंदी त असां यहोवा जे पक्ष में अटलु रहूं?

14 अपने समर्पण और बपतिस्मे के बारे में सोचिए। आपने ये कदम इसलिए उठाए, क्योंकि आप यहोवा का पक्ष लेना चाहते थे। सोचिए कि उस वक्‍त आपको किस बात से यकीन हुआ था कि आप जो सीख रहे हैं, वही सच्चाई है। आपने यहोवा के बारे में सही ज्ञान लिया, उसे अच्छी तरह जाना और आप उसका आदर करने लगे। आप उससे अपने पिता की तरह प्यार करने लगे। उस पर आपका विश्‍वास बढ़ने लगा और आपने जो गलत काम किए थे, उनके लिए आपने पश्‍चाताप किया। आपने वे काम करने छोड़ दिए, जिनसे यहोवा नफरत करता है और वे काम करने लगे जिनसे वह खुश होता है। फिर जब आपने महसूस किया कि परमेश्‍वर ने आपको माफ कर दिया है, तो आपको काफी राहत मिली। (भज. 32:1, 2) आप सभाओं में जाने लगे और आप बाइबल से जो बढ़िया बातें सीख रहे थे, वे दूसरों को भी बताने लगे। फिर आपने अपनी ज़िंदगी परमेश्‍वर को समर्पित की और बपतिस्मा लिया। अब आप उस राह पर चल रहे हैं जो जीवन की ओर ले जाती है और आपने ठान लिया है कि आप हमेशा इस पर चलते रहेंगे।​—मत्ती 7:13, 14.

15. अध्ययन ऐं मनन करण छो ज़रूरी आहे?

15 परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन कीजिए और उस पर मनन कीजिए। अगर एक पेड़ की जड़ें मज़बूत हों, तो वह मज़बूती से खड़ा रह सकता है। उसी तरह अगर परमेश्‍वर पर हमारा विश्‍वास मज़बूत हो, तो हम डटे रह सकते हैं। जैसे-जैसे पेड़ बढ़ता है, उसकी जड़ें और भी गहरायी में जाती हैं और फैलती जाती हैं। जब हम परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करते हैं और उस पर मनन करते हैं, तो हमारा विश्‍वास और भी बढ़ता है। हमारा यह यकीन और पक्का हो जाता है कि परमेश्‍वर की बतायी राह पर चलने में ही हमारी भलाई है। (कुलु. 2:6, 7) सोचिए कि बीते ज़माने में यहोवा ने किस तरह अपने लोगों को निर्देश दिए, उनका मार्गदर्शन किया और उनकी हिफाज़त की और इससे उन्हें क्या फायदा हुआ। उदाहरण के लिए, जब एक स्वर्गदूत यहेजकेल को दर्शन में दिखाए गए मंदिर का माप ले रहा था, तो यहेजकेल ने बहुत ध्यान से उसे देखा। उस दर्शन से यहेजकेल का विश्‍वास मज़बूत हुआ। और इससे हम सीखते हैं कि हमें शुद्ध उपासना के बारे में यहोवा के स्तरों पर कैसे चलना चाहिए। d (यहे. 40:1-4; 43:10-12) तो अगर हम परमेश्‍वर के वचन में लिखी गहरी बातों का अध्ययन करें और उन पर मनन करें, तो बीते ज़माने के सेवकों की तरह हमें भी फायदा होगा।

16. दिल में ‘अटलु’ इरादे जी वजह सां भाउ बॉब कीअं पंहिंजी रक्षा करे सघियो?

16 अपना दिल “अटल” या मज़बूत कीजिए। जब राजा दाविद ने एक भजन में यह कहा, “हे परमेश्‍वर, मेरा दिल अटल है,” तो वह शायद कह रहा था कि चाहे जो हो जाए, यहोवा के लिए उसका प्यार कभी कम नहीं होगा। (भज. 57:7) हमारा दिल भी अटल हो सकता है और हम यहोवा पर पूरा भरोसा रख सकते हैं। (भजन 112:7 पढ़िए।) ज़रा भाई बॉब के उदाहरण पर फिर से गौर कीजिए। जब डॉक्टर ने उनसे कहा कि ऑपरेशन के दौरान वे खून पास में रखेंगे, क्योंकि हो सकता है इसकी ज़रूरत पड़े, तो ध्यान दीजिए क्या हुआ। उन्होंने तुरंत डॉक्टर से कहा कि अगर वे खून चढ़ाने की ज़रा भी सोच रहे हैं, तो वे एक पल भी वहाँ नहीं रुकेंगे। बाद में भाई बॉब ने कहा, “मुझे अपने फैसले पर ज़रा भी शक नहीं था। मेरे साथ चाहे जो भी होता, मुझे कोई चिंता नहीं थी।”

अगर हम पहले से यहोवा पर विश्‍वास बढ़ाएँ, तो हम बड़ी-से-बड़ी मुश्‍किल में भी डटे रह पाएँगे (पैराग्राफ 17)

17. असां भाउ बॉब जे उदाहरण मां छा सिखी सघूं था? (तसवीर बि ॾिसो.)

17 भाई बॉब इसलिए अटल रह पाए, क्योंकि उन्होंने अस्पताल जाने से बहुत पहले ही सोच लिया था कि वे अपने फैसले पर डटे रहेंगे। वे ऐसा कैसे कर पाए? पहली बात, वे यहोवा को खुश करना चाहते थे। दूसरी, उन्होंने बाइबल की वे आयतें और हमारे उन प्रकाशनों का अच्छी तरह अध्ययन किया जिनमें समझाया गया है कि जीवन और खून पवित्र हैं। तीसरी, उन्हें यकीन था कि यहोवा की हिदायतें मानने से ना सिर्फ आज उनका भला होगा, बल्कि भविष्य में भी उन्हें आशीषें मिलेंगी। आज हमारे सामने भी चाहे जैसी भी मुश्‍किलें आएँ, हमारा दिल भी अटल हो सकता है।

बाराक और उसके आदमी हिम्मत से सीसरा की सेना का पीछा कर रहे हैं (पैराग्राफ 18)

18. असां यहोवा ते भरोसो रखण जे बारे में बाराक जे उदाहरण मां छा सिखूं था? (ॿाहिर ॾिनल तसवीर ॾिसो.)

18 यहोवा पर भरोसा रखिए। ज़रा गौर कीजिए कि जब बाराक ने यहोवा पर भरोसा रखा और उसकी हिदायतें मानीं, तो उसे कैसे जीत मिली। इसराएली युद्ध के लिए तैयार नहीं थे, पूरे देश में ना तो किसी के पास ढालें थी, ना बरछी। (न्यायि. 5:8) फिर भी यहोवा ने बाराक को हिदायत दी कि वह कनान के सेनापति सीसरा से युद्ध करने जाए। सीसरा की सेना हथियारों से लैस थी और उनके पास 900 युद्ध-रथ थे। भविष्यवक्‍तिन दबोरा ने बाराक से कहा कि वह पहाड़ी इलाके से नीचे जाकर घाटी में सीसरा से मुकाबला करे। बाराक जानता था कि दुश्‍मन सेना के पास युद्ध-रथ हैं और वह मैदानी इलाके में तेज़ी से उन पर हमला कर सकती है, इसलिए उसका मुकाबला करना और भी मुश्‍किल होगा। फिर भी उसने आज्ञा मानी। जब बाराक और उसकी सेना ताबोर पहाड़ से नीचे उतर रही थी, तो यहोवा ने मूसलाधार बारिश करवायी। सीसरा के युद्ध-रथ कीचड़ में फँस गए। और यहोवा ने बाराक को जीत दिलायी। (न्यायि. 4:1-7, 10, 13-16) आज अगर हम यहोवा पर भरोसा रखें और संगठन से मिलनेवाली हिदायतें मानें, तो यहोवा एक तरह से हमें भी जीत दिलाएगा।​—व्यव. 31:6.

अटलु रहण जो पको इरादो कयो

19. तव्हां अटलु रहण जो छो पको इरादो कयो आहे?

19 हम जब तक इस दुनिया में जी रहे हैं, हमें अटल रहने के लिए लगातार जंग लड़नी होगी। (1 तीमु. 6:11, 12; 2 पत. 3:17) इसलिए आइए ठान लें कि चाहे हम पर ज़ुल्म किए जाएँ, छिपकर हमले हों, हमारे आस-पास के लोग कुछ भी सोचें, छलनेवाली बातें कहें या हमारे सामने ध्यान भटकानेवाली बातें हों, हम कभी नहीं डगमगाएँगे। (इफि. 4:14) इसके बजाय हम अटल बनेंगे, डटे रहेंगे, हर हाल में यहोवा की आज्ञा मानेंगे और उसकी उपासना करते रहेंगे। लेकिन ज़रूरत पड़ने पर हम झुकने या फेरबदल करने के लिए भी तैयार रहेंगे। अगले लेख में हम चर्चा करेंगे कि इस मामले में यहोवा और यीशु कैसे सबसे बढ़िया मिसाल हैं।

गीत 129 हम धीरज धरेंगे

a आदम और हव्वा के वक्‍त से शैतान इंसानों के मन में यह बात डालने की कोशिश करता आ रहा है कि उन्हें खुद तय करना चाहिए कि उनके लिए क्या सही है और क्या गलत। आज भी वह यही चाहता है कि हम यहोवा के नियम-कानून और संगठन से मिलनेवाली हिदायतें मानने के बजाय अपनी मन-मरज़ी करें। इस लेख में हम जानेंगे कि हम ऐसा करने से कैसे बच सकते हैं और डटे रहकर यहोवा की आज्ञा मानने का अपना इरादा कैसे पक्का कर सकते हैं।

b खून के बारे में परमेश्‍वर ने जो आज्ञा दी है, उसे एक मसीही कैसे मान सकता है, इस बारे में और जानने के लिए खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!  किताब का पाठ 39 पढ़ें।