अध्ययन लेख 41
सच्ची खुशी कीअं पायूं?
“सुखी है हर कोई जो यहोवा का डर मानता है, उसकी राहों पर चलता है।”—भजन 128:1.
गीत 110 “खुशी यहोवा देता है”
एक झलक a
1. इंसाननि में कहिड़ी इच्छा हूंदी आहे ऐं हिन इच्छा खे पूरो करण सां असां खे छो खुशी मिलंदी आहे?
दुनिया में ऐसी कई चीज़ें हैं, जिनसे हमें पल-भर की खुशी मिलती है, लेकिन यह सच्ची खुशी नहीं होती। सच्ची खुशी हमेशा तक बनी रहती है। यीशु ने पहाड़ी उपदेश देते वक्त बताया कि हम सच्ची खुशी कैसे पा सकते हैं। उसने कहा, “सुखी हैं वे जिनमें परमेश्वर से मार्गदर्शन पाने की भूख है।” (मत्ती 5:3) यीशु जानता था कि हमें बनाया ही इस तरह गया है कि हममें परमेश्वर के बारे में सीखने और उसकी उपासना करने की इच्छा होती है। जब हम यह इच्छा पूरी करते हैं, तो हमें सच्ची खुशी मिलती है। और यहोवा खुद भी तो “आनंदित परमेश्वर” है, इसलिए अगर हम उसकी उपासना करेंगे तो हम भी खुश रहेंगे।—1 तीमु. 1:11.
2-3. (क) मत्ती 5:4, 10, 11 जे मुताबिक असां कहिड़नि हालातनि में खुश रही सघूं था? (ख) हिन लेख में असां छा चर्चा कंदासी ऐं हिन विषय ते चर्चा करण छो ज़रूरी आहे?
2 क्या हम सिर्फ तभी खुश रह सकते हैं जब सबकुछ अच्छा चल रहा हो, ज़िंदगी में कोई परेशानी ना हो? नहीं, हम मुश्किलें आने पर भी खुश रह सकते हैं। ध्यान दीजिए कि यीशु ने कहा, “सुखी हैं वे जो मातम मनाते हैं।” ये ऐसे लोग हो सकते हैं जिन्होंने पहले कोई पाप या गलती की थी और इस वजह से बहुत दुखी हैं। ये वे लोग भी हो सकते हैं जो बड़ी-बड़ी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं और बहुत परेशान हैं। यीशु ने यह भी कहा कि “जो सही काम करने की वजह से ज़ुल्म सहते हैं” और जिन्हें उसके “चेले होने की वजह से बदनाम” किया जाता है, वे भी खुश रह सकते हैं। (मत्ती 5:4, 10, 11) पर ऐसे मुश्किल हालात में कोई कैसे खुश रह सकता है?
3 यीशु समझा रहा था कि सच्ची खुशी पाने के लिए यह ज़रूरी नहीं कि हमारी ज़िंदगी में सबकुछ अच्छा चल रहा हो और कोई परेशानी ना हो। इसके बजाय सच्ची खुशी तब मिलती है जब हम परमेश्वर के बारे में सीखते हैं, उसकी उपासना करते हैं और उसके करीब आते हैं। (याकू. 4:8) इस लेख में हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे और जानेंगे कि सच्ची खुशी पाने के लिए हमें कौन-से तीन कदम उठाने होंगे।
बाइबल पढ़ो ऐं गहिराईअ सां अध्ययन कयो
4. सच्ची खुशी पाइण लाइ पहिरियों कदम कहिड़ो आहे? (भजन 1:1-3)
4 पहला कदम: सच्ची खुशी पाने के लिए हमें बाइबल पढ़नी होगी और उसका अध्ययन करना होगा। हम अच्छी तरह जानते हैं कि इंसानों और जानवरों को ज़िंदा रहने के लिए खाने की ज़रूरत होती है। लेकिन यीशु ने बताया कि इंसानों को एक और चीज़ की ज़रूरत है। उसने कहा, “इंसान को सिर्फ रोटी से नहीं बल्कि यहोवा के मुँह से निकलनेवाले हर वचन से ज़िंदा रहना है।” (मत्ती 4:4) जैसे हम हर रोज़ खाना खाते हैं, वैसे ही हमें हर रोज़ बाइबल पढ़नी चाहिए और उसका अध्ययन करना चाहिए। भजन के एक लेखक ने कहा, ‘सुखी है वह इंसान जो यहोवा के कानून से खुशी पाता है, दिन-रात उसका कानून पढ़ता है।’—भजन 1:1-3 पढ़िए।
5-6. (क) बाइबल में यहोवा छा लिखायो आहे? (ख) बाइबल पढ़ण सां असां खे कीअं फायदो थींदो?
5 यहोवा हमसे बहुत प्यार करता है। इसलिए उसने बाइबल में लिखवाया है कि अगर हम खुश रहना चाहते हैं, तो हमें क्या करना होगा। जैसे, हम बाइबल से जान पाते हैं कि हमारे जीने का क्या मकसद होना चाहिए, हम यहोवा के करीब कैसे आ सकते हैं और उसके दोस्त कैसे बन सकते हैं। हमें बाइबल से यह भी पता चलता है कि अगर हम चाहते हैं कि यहोवा हमें माफ कर दे, तो हमें क्या करना होगा। इतना ही नहीं, बाइबल में यह आशा भी दी गयी है कि आगे चलकर हम एक बहुत अच्छी ज़िंदगी जीएँगे। (यिर्म. 29:11) जब हम इन बातों के बारे में सीखते हैं, तो हमें बहुत खुशी होती है!
6 बाइबल में कई मामलों के बारे में बढ़िया सलाह भी दी गयी है। जब हम उन बातों को मानते हैं, तो हम खुश रह पाते हैं। तो जब कभी आप दुखी हों, परेशान हों, तब बाइबल पढ़ने के लिए और उसमें लिखी बातों पर मनन करने के लिए और ज़्यादा वक्त निकालिए। यीशु ने कहा था, “सुखी हैं वे जो परमेश्वर का वचन सुनते हैं और उस पर चलते हैं!”—लूका 11:28.
7. बाइबल पढ़ाई मां पूरो पूरो फायदो वठण जे लाइ असां खे छा करण घुरिजे?
7 बाइबल पढ़ते वक्त जल्दबाज़ी मत कीजिए, बल्कि इसे आराम से पढ़िए। क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि किसी ने आपका मनपसंद खाना बनाया, पर जब आप खाने बैठे तो आपका ध्यान कहीं और था या आपके पास समय कम था, इसलिए आप उसे जल्दी-जल्दी खा गए और खाने का पूरा मज़ा नहीं लिया? मगर फिर बाद में आपने सोचा होगा, ‘काश! मैंने थोड़ा आराम से खाया होता और हर निवाले का स्वाद लिया होता।’ बाइबल पढ़ते वक्त भी हमारे साथ कुछ ऐसा ही हो सकता है। शायद हम जल्दबाज़ी में पढ़ें और उसमें जो सीख दी गयी है, उस पर ध्यान ही ना दें। इसलिए जब आप बाइबल पढ़ते हैं, तो जल्दी-जल्दी मत पढ़िए। कोई किस्सा पढ़ते वक्त उसके बारे में कल्पना कीजिए। सोचिए उस वक्त क्या-क्या हो रहा होगा, आस-पास कैसी आवाज़ें आ रही होंगी और आप उस किस्से से क्या सीख सकते हैं। इस तरह बाइबल पढ़कर आपको अच्छा लगेगा और बहुत खुशी मिलेगी।
8. ‘वफादार ऐं समझदार दास’ पंहिंजी जवाबदारी खे सुठे नमूने कीअं पूरो करे रहियो आहे? (फुटनोट भी ॾिसो.)
8 यीशु ने “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” को ठहराया है ताकि वह हमें “सही वक्त पर खाना दे।” और आज यह दास अपनी ज़िम्मेदारी बहुत अच्छे-से निभा रहा है, हमारे पास ढेर सारे प्रकाशन हैं। b (मत्ती 24:45) विश्वासयोग्य दास जो भी प्रकाशन तैयार करता है, वे सब बाइबल पर आधारित होते हैं। (1 थिस्स. 2:13) इसलिए जब हम इन्हें पढ़ते हैं, तो हम जान पाते हैं कि किसी मामले के बारे में यहोवा की क्या सोच है। तो यह बहुत ज़रूरी है कि हम प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाएँ पढ़ें, jw.org वेबसाइट पर जो लेख आते हैं उन्हें पढ़ें, सभाओं की अच्छी तैयारी करें और हर महीने JW ब्रॉडकास्टिंग का कार्यक्रम देखें। जब हम बाइबल और बाइबल पर आधारित प्रकाशन पढ़ेंगे, तो हम वह दूसरा कदम भी उठा पाएँगे, जिससे हमें सच्ची खुशी मिलेगी।
यहोवा जे स्तरनि खे मञो
9. सच्ची खुशी पाइण जे लाइ असां खे ॿियो कहिड़ो कदम खणणो आहे?
9 दूसरा कदम: सच्ची खुशी पाने के लिए हमें यहोवा के स्तरों को मानना होगा। भजन के एक लेखक ने कहा, “सुखी है हर कोई जो यहोवा का डर मानता है, उसकी राहों पर चलता है।” (भज. 128:1) यहोवा का डर मानने का यह मतलब नहीं कि हम उससे डर-डरकर जीएँ, बल्कि इसका मतलब है कि हम इस बात का ध्यान रखें कि हम ऐसा कोई काम ना करें जो यहोवा को पसंद ना हो। (नीति. 16:6) बाइबल में यहोवा ने लिखवाया है कि उसकी नज़र में क्या सही है और क्या गलत। हमें पूरी कोशिश करनी चाहिए कि हम यहोवा के इन स्तरों को मानें। (2 कुरिं. 7:1) अगर हम वे काम करें जो यहोवा को पसंद हैं और ऐसा कोई काम ना करें जिससे उसे नफरत है, तो हम खुश रहेंगे।—भज. 37:27; 97:10; रोमि. 12:9.
10. रोमियों 12:2 जे मुताबिक असां जी कहिड़ी जवाबदारी आहे?
10 रोमियों 12:2 पढ़िए। हो सकता है, एक व्यक्ति जानता हो कि यहोवा को ही सही-गलत के स्तर तय करने का हक है। लेकिन यह काफी नहीं है। उसे उन स्तरों को मानना भी होगा। इसे समझने के लिए एक उदाहरण पर ध्यान दीजिए। शायद एक व्यक्ति को पता हो कि सरकार को ही यह तय करने का हक है कि किसी सड़क पर गाड़ी कितनी तेज़ चलायी जा सकती है। पर वह जिस तरह गाड़ी चलाएगा, उससे पता चलेगा कि वह उस नियम को मानता है या नहीं। उसी तरह हम जैसी ज़िंदगी जीते हैं, उससे पता चलेगा कि क्या हम सच में मानते हैं कि यहोवा के स्तर मानने में ही हमारी भलाई है। (नीति. 12:28) दाविद भी मानता था कि यहोवा के स्तर मानने से ही खुशी मिलती है, इसलिए उसने कहा, “तू मुझे ज़िंदगी की राह दिखाता है। तेरे सामने रहकर मुझे अपार सुख मिलता है, तेरे दायीं तरफ रहना मुझे सदा खुशी देता है।”—भज. 16:11.
11-12. (क) जॾहिं असां दुखी यां परेशान हूंदा आहियूं, त असां खे छा ध्यान रखण घुरिजे? (ख) फिलिप्पियों 4:8 में ॾिनल शब्द असां खे सही मनोरंजन जो चुनाव करण में कीअं मदद कंदा?
11 जब हम बहुत दुखी या परेशान होते हैं, तो शायद हम कुछ ऐसा करने की सोचें जिससे अपना गम भुला पाएँ। लेकिन ऐसे वक्त में हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम ऐसा कुछ ना कर बैठें जिससे यहोवा नफरत करता है।—इफि. 5:10-12, 15-17.
12 पौलुस ने फिलिप्पी में रहनेवाले मसीहियों को जो चिट्ठी लिखी, उसमें उसने कहा, ‘जो बातें नेक हैं, जो बातें साफ-सुथरी हैं, जो बातें चाहने लायक हैं और जो बातें तारीफ के लायक हैं, उन्हीं पर ध्यान देते रहो।’ (फिलिप्पियों 4:8 पढ़िए।) पौलुस यहाँ खास तौर पर मनोरंजन की बात तो नहीं कर रहा था, लेकिन जब आप सोच रहे हों कि आप अपने खाली समय में क्या करेंगे, तो आप इस आयत को ध्यान में रख सकते हैं। जैसे कोई फिल्म देखने से पहले आप सोच सकते हैं, ‘क्या यह फिल्म नेक है? क्या यह साफ-सुथरी है? क्या यह चाहने लायक है? और क्या यह तारीफ के लायक है?’ उसी तरह कोई गाना सुनने से पहले, कोई किताब पढ़ने से पहले या कोई वीडियो गेम खेलने से पहले आप खुद से यही सवाल कर सकते हैं। इस तरह सोचने से आप जान पाएँगे कि यहोवा की नज़र में क्या सही होगा और क्या गलत। अगर हम यहोवा के ऊँचे स्तरों को मानें, तो हमारा ज़मीर साफ रहेगा। (भज. 119:1-3; प्रेषि. 23:1) फिर हम वह तीसरा कदम उठा पाएँगे, जिससे हमें सच्ची खुशी मिलेगी।
यहोवा जी उपासना खे ज़िंदगी में पहिरियों रखो
13. सच्ची खुशी पाइण जे लाइ टियों कदम कहिड़ो आहे? (यूहन्ना 4:23, 24)
13 तीसरा कदम: यहोवा की उपासना को सबसे ज़्यादा अहमियत दीजिए। यहोवा ने ही हमें बनाया है, इसलिए हमें उसकी उपासना करनी चाहिए और ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी बात हमारी उपासना के आड़े ना आए। (प्रका. 4:11; 14:6, 7) और हमें उसी तरह उसकी उपासना करनी चाहिए जैसे वह चाहता है, यानी “पवित्र शक्ति और सच्चाई से।” पवित्र शक्ति हमारी मदद करती है कि हम बाइबल में लिखी सच्चाइयों को समझें और उनके मुताबिक यहोवा की उपासना करें। (यूहन्ना 4:23, 24 पढ़िए।) जब हमारे काम पर पाबंदी या रोक लगा दी जाए, तब भी हमें यहोवा की उपासना करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। आज हमारे 100 से भी ज़्यादा भाई-बहन जेल में हैं, वह भी सिर्फ इसलिए कि वे यहोवा की उपासना करते हैं। c जेल में भी वे लगातार यहोवा से प्रार्थना करते हैं, जितना हो सके अध्ययन करते हैं और दूसरों को यहोवा और उसके राज के बारे में बताते हैं। इस वजह से वे खुश रहते हैं। अगर हमें भी बदनाम किया जाए या हम पर ज़ुल्म किए जाएँ, तो हम याद रख सकते हैं कि यहोवा हमारे साथ है और वक्त आने पर वह हमें ज़रूर इनाम देगा। इस तरह हम खुश रह पाएँगे।—याकू. 1:12; 1 पत. 4:14.
हिक सच्ची मिसाल
14. ताजिकिस्तान में हिक भाउ सां छा थियो ऐं छो?
14 हमारे ऐसे कई भाई-बहन हैं जिन्होंने बड़ी-बड़ी मुश्किलों का सामना किया है। लेकिन उन्होंने वे तीन कदम उठाए जिनके बारे में हमने इस लेख में बात की और इस वजह से वे खुश रह पाए। हाल ही में ताजिकिस्तान के हमारे एक भाई पर भी कई मुश्किलें आयीं। इस भाई का नाम है, जोविडौन बाबाजोनोव। जब वह 19 साल का था, तो उससे सेना में भरती होने को कहा गया, लेकिन उसने मना कर दिया। इसलिए 4 अक्टूबर, 2019 को पुलिसवाले उसे घर से उठाकर ले गए और कई महीनों तक उसे हिरासत में रखा। वे उसके साथ ऐसे पेश आए जैसे वह कोई अपराधी हो। कई देशों की मीडिया ने बताया कि उसके साथ क्या-क्या हो रहा है। खबरों में आया कि उसे बहुत मारा-पीटा गया, अफसरों ने उसके साथ ज़बरदस्ती की कि वह सेना में भरती होने की शपथ खाए और वर्दी पहने। कुछ समय बाद अदालत ने उसे सज़ा सुनायी और उसे जेल हो गयी। लेकिन कुछ समय बाद ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति ने उसे रिहा करने का आदेश दे दिया। पर इस मुश्किल दौर में भी जोविडौन खुश रह पाया और यहोवा का वफादार रहा। वह ऐसा इसलिए कर पाया, क्योंकि उसने यहोवा के साथ एक मज़बूत रिश्ता बनाए रखा।
15. जेल में भी जोविडौन यहोवा जे बारे में कीअं सिखंदो रहियो?
15 जब जोविडौन जेल में था, तो उसके पास ना तो बाइबल थी और ना ही कोई प्रकाशन, फिर भी वह यहोवा के बारे में सीखता रहा। कैसे? जो भाई-बहन जेल में उसके लिए खाना लेकर आते थे, वे खाने की थैली पर हर दिन का वचन लिख देते थे। इस तरह जोविडौन हर दिन बाइबल के वचन पढ़ पाता था और उन पर मनन कर पाता था। रिहा होने के बाद जोविडौन ने कहा, “जिन भाई-बहनों ने अभी तक किसी बड़ी मुश्किल का सामना नहीं किया है, उनसे मैं कहना चाहता हूँ कि जब तक आपके पास आज़ादी है, यह बहुत ज़रूरी है कि आप लगातार बाइबल पढ़ें, प्रकाशन पढ़ें और यहोवा के बारे में जितना हो सके सीखते रहें।”
16. जेल में भी जोविडौन कहिड़ियुनि ॻाल्हियुनि ते ध्यान लॻायो?
16 जोविडौन यहोवा के स्तरों को मानता रहा। बुरी बातों के बारे में सोचने के बजाय, उसने इस बारे में सोचा कि यहोवा को क्या पसंद है और अपना व्यवहार अच्छा रखा। उसे जब भी मौका मिलता, वह यहोवा की बनायी चीज़ों को गौर से देखता था। हर सुबह वह चिड़ियों का चहचहाना और उनका गाना सुनता था और रात को चाँद और तारों को देखता था। उसने कहा, “यहोवा की बनायी ये चीज़ें मेरे लिए किसी तोहफे से कम नहीं थीं। इनसे मुझे बहुत खुशी मिली और मेरा हौसला बढ़ा।” जब हम भी यहोवा की बनायी चीज़ों पर गौर करेंगे और लगातार बाइबल पढ़ेंगे, तो हम खुश रह पाएँगे और इससे हमें बड़ी-से-बड़ी मुश्किल का सामना करने की हिम्मत मिलेगी।
17. जेको शख्स जोविडौन वांगुर मुश्किलूं झेले रहियो आहे, उन ते 1 पतरस 1:6, 7 जा शब्द कीअं लागू थियन था?
17 जोविडौन ने यहोवा की उपासना को सबसे ज़्यादा अहमियत दी। यीशु ने कहा था, “तू सिर्फ अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना कर और उसी की पवित्र सेवा कर।” (लूका 4:8) जोविडौन भी चाहता था कि वह हर हाल में यहोवा का वफादार रहे। सेना अफसरों और सैनिकों ने लाख कोशिश की कि वह यहोवा की उपासना करना छोड़ दे। लेकिन वह यहोवा से दिन-रात प्रार्थना करता रहा कि वह उसे हिम्मत दे ताकि वह उसका वफादार रह पाए। अफसरों ने उसके साथ बहुत बुरा सलूक किया। फिर भी जोविडौन ने हिम्मत नहीं हारी, वह यहोवा का वफादार बना रहा। उसे उसके घर से उठाकर ले जाया गया, मारा-पीटा गया और सलाखों के पीछे डाल दिया गया। इस सब से उसके विश्वास की परख हुई। पर अब वह बहुत खुश है क्योंकि उसका विश्वास पहले से कहीं ज़्यादा मज़बूत हो गया है।—1 पतरस 1:6, 7 पढ़िए।
18. असां पंहिंजी खुशी कीअं बरकार रखे सघूं था?
18 यहोवा जानता है कि हमें सच्ची खुशी कैसे मिल सकती है। और उसने हमें बताया है कि इसे पाने के लिए हमें क्या करना होगा। अगर आप वे तीन कदम उठाएँ जिनके बारे में हमने इस लेख में बात की, तो चाहे आपकी ज़िंदगी में कितनी ही मुश्किलें क्यों ना आएँ, आप खुश रह पाएँगे। तब भजन के लेखक की तरह आप भी कहेंगे, “सुखी हैं वे लोग जिनका परमेश्वर यहोवा है!”—भज. 144:15.
गीत 89 सुन के अमल करें
a कुछ लोगों को लगता है कि अगर वे मौज-मस्ती करें, खूब धन-दौलत कमाएँ, उनका बड़ा नाम हो, शोहरत हो, एक बड़ा ओहदा हो, तो वे खुश रहेंगे। लेकिन इन चीज़ों से सच्ची खुशी नहीं मिलती। जब यीशु धरती पर था, तो उसने बताया कि सच्ची खुशी पाने के लिए हमें क्या करना होगा। इस लेख में हम जानेंगे कि कौन-से तीन कदम उठाने से हमें सच्ची खुशी मिल सकती है।
b 15 अगस्त, 2014 की प्रहरीदुर्ग में दिया लेख “क्या आपको ‘सही वक्त पर खाना’ मिल रहा है?” पढ़ें।
c और जानने के लिए jw.org की अँग्रेज़ी वेबसाइट पर “जेहोवाज़ विटनेसेज़ इमप्रिज़न्ड फॉर देयर फेथ” खोजें।
d तसवीर के बारे में: जब भाई-बहनों को गिरफ्तार करके अदालत ले जाया जाता है, तो कई बार दूसरे भाई-बहन आस-पास खड़े रहकर उनका हौसला बढ़ाते हैं।