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अध्ययन लेख 20

पंहिंजी प्रार्थना खे वधीक बेहतर कयो

पंहिंजी प्रार्थना खे वधीक बेहतर कयो

“उसके आगे अपना दिल खोलकर रख दो।”​—भज. 62:8.

गीत 45 मेरे मन के विचार

एक झलक a

यहोवा से लगातार प्रार्थना कीजिए और हर मामले में उससे मार्गदर्शन माँगिए (पैराग्राफ 1)

1. यहोवा पंहिंजनि सेवकनि खां छा चाहींदो आहे? (तसवीर बि ॾिसो.)

 अगर कभी हमें दिलासे की ज़रूरत हो या हमें समझ में ना आ रहा हो कि हम क्या करें, तो हम किसके पास जा सकते हैं? हम सभी इस सवाल का जवाब जानते हैं। हम यहोवा से प्रार्थना करके उससे मदद माँग सकते हैं। यहोवा खुद भी हमें ऐसा करने का बढ़ावा देता है। वह चाहता कि हम सिर्फ एक-दो बार नहीं, बल्कि “लगातार प्रार्थना करते” रहें। (1 थिस्स. 5:17) हम बेझिझक उससे प्रार्थना कर सकते हैं और ज़िंदगी के किसी भी मामले में उससे मार्गदर्शन माँग सकते हैं। (नीति. 3:5, 6) यहोवा बहुत उदार परमेश्‍वर है, उसने हम पर कोई रोक-टोक नहीं लगायी है। हम उससे कभी-भी और कितनी भी बार प्रार्थना कर सकते हैं।

2. हिन लेख में असां छा चर्चा कंदासीं?

2 हम यहोवा का बहुत एहसान मानते हैं कि उसने हमें प्रार्थना करने का मौका दिया है। लेकिन दिन-भर में हमें इतने सारे काम करने होते हैं कि शायद हमें प्रार्थना करने के लिए वक्‍त निकालना मुश्‍किल लगे। या हो सकता है, हमें लगे कि हमें और भी अच्छी तरह प्रार्थना करनी चाहिए। खुशी की बात है कि बाइबल से हम जान सकते हैं कि हम यह कैसे कर सकते हैं। इस लेख में हम यीशु के उदाहरण पर ध्यान देंगे और जानेंगे कि हम प्रार्थना करने के लिए कैसे वक्‍त निकाल सकते हैं। इसके अलावा हम कुछ पाँच अहम बातों पर भी चर्चा करेंगे, जिन्हें हम प्रार्थना करते वक्‍त ध्यान में रख सकते हैं। इस तरह हम और अच्छी तरह प्रार्थना कर पाएँगे।

प्रार्थना करण जे लाइ यीशु वक्‍त कढ़ियो

3. प्रार्थनाउनि जे बारे में यीशु छा ॼाणींदो हो?

3 यीशु जानता था कि यहोवा हमारी प्रार्थनाएँ कितने ध्यान से सुनता है। धरती पर आने से पहले उसने देखा था कि यहोवा अपने वफादार सेवकों की प्रार्थनाओं का जवाब देता है। जैसे उसने देखा कि जब हन्‍ना, दाविद और एलियाह जैसे वफादार सेवकों ने सच्चे मन से यहोवा से प्रार्थना की, तो उसने उनकी सुनी और उन्हें जवाब दिया। (1 शमू. 1:10, 11, 20; 1 राजा 19:4-6; भज. 32:5) इसी वजह से यीशु ने अपने चेलों से कहा कि वे बार-बार प्रार्थना करें और इस बात का पूरा यकीन रखें कि यहोवा उनकी प्रार्थनाएँ सुनता है।​—मत्ती 7:7-11.

4. असां यीशु जे प्रार्थनाउनि मां छा सिखूं था?

4 प्रार्थना करने के मामले में यीशु ने अपने चेलों के लिए एक बढ़िया मिसाल रखी। धरती पर अपनी सेवा के दौरान वह बार-बार यहोवा से प्रार्थना किया करता था। वह अकसर बहुत व्यस्त रहता था और लोगों से घिरा रहता था, इसलिए वह पहले से सोचता था कि वह कब प्रार्थना करेगा। (मर. 6:31, 45, 46) वह सुबह जल्दी उठता था, ताकि अकेले में यहोवा से बात कर सके। (मर. 1:35) और बाइबल में लिखा है कि एक बार जब उसे बहुत ज़रूरी फैसला लेना था, तो उसने सारी रात प्रार्थना की। (लूका 6:12, 13) अपनी मौत से पहले की रात भी यीशु ने कई बार प्रार्थना की, क्योंकि अब उसे धरती पर यहोवा से मिली सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी पूरी करनी थी।​—मत्ती 26:39, 42, 44.

5. प्रार्थना करण जे बारे में असां यीशु वांगुर छा करे सघूं था?

5 यीशु से हम सीखते हैं कि चाहे हम कितने भी व्यस्त क्यों ना हों, हमें प्रार्थना करने के लिए समय निकालना है। उसकी तरह हम भी शायद सुबह जल्दी या रात को प्रार्थना करने के लिए समय तय करें। ऐसा करके हम ज़ाहिर कर रहे होंगे कि यहोवा ने प्रार्थना करने की जो अनोखी आशीष दी है, उसकी हम बहुत कदर करते हैं। लिनी नाम की एक बहन बताती हैं कि जब उन्हें पहली बार पता चला कि वे यहोवा से प्रार्थना कर सकती हैं, तो यह बात उनके दिल को छू गयी। वे कहती हैं, “जब मैंने जाना कि मैं यहोवा से कभी-भी बात कर सकती हूँ, तो मैं समझ पायी कि वह एक अच्छे दोस्त की तरह है और मुझे लगा कि मुझे उससे और भी अच्छी तरह प्रार्थना करनी चाहिए।” हममें से बहुत-से लोग ऐसा ही महसूस करते हैं। तो आइए ऐसी पाँच अहम बातों पर चर्चा करें जिन्हें हम प्रार्थना करते वक्‍त ध्यान में रख सकते हैं।

प्रार्थना करण जे लाइ पंज अहम ॻाल्हियूं

6. प्रकाशितवाक्य 4:10, 11 जे मुताबिक यहोवा छा जो हकदार आहे?

6 यहोवा की तारीफ कीजिए। प्रेषित यूहन्‍ना ने एक शानदार दर्शन में देखा कि 24 प्राचीन स्वर्ग में यहोवा की उपासना कर रहे हैं। वे यहोवा की तारीफ कर रहे थे और कह रहे थे कि वह “महिमा, आदर और शक्‍ति पाने के योग्य है।” (प्रकाशितवाक्य 4:10, 11 पढ़िए।) यहोवा के वफादार स्वर्गदूतों के पास भी उसकी तारीफ या महिमा करने की कई वजह हैं। वे स्वर्ग में यहोवा के साथ रहते हैं और उसे अच्छी तरह जानते हैं। यहोवा जो भी करता है, उसे देखकर वे समझ पाते हैं कि वह कैसा परमेश्‍वर है और उसमें कौन-कौन-से गुण हैं। इसलिए वे खुद को उसकी तारीफ करने से रोक नहीं पाते।​—अय्यू. 38:4-7.

7. असां कहिड़ियुनि ॻाल्हियुनि जे लाइ यहोवा जी तारीफ करे सघूं था?

7 हमें भी प्रार्थना करते वक्‍त यहोवा की तारीफ करनी चाहिए, उसे बताना चाहिए कि हमें उसकी कौन-सी बातें अच्छी लगती हैं और क्यों। इसलिए जब आप बाइबल पढ़ें और उसका अध्ययन करें, तो सोचिए कि आपको यहोवा की कौन-सी बातें, उसके कौन-से गुण बहुत अच्छे लगते हैं। (अय्यू. 37:23; रोमि. 11:33) फिर जब आप यहोवा से प्रार्थना करें, तो उस बारे में उसे बताइए और उसकी तारीफ कीजिए। इसके अलावा, सोचिए कि यहोवा आपके लिए और दुनिया-भर में भाई-बहनों के लिए कितना कुछ करता है। वह हमेशा हमारा खयाल रखता है और हमारी हिफाज़त करता है, इसके लिए भी हम उसकी तारीफ कर सकते हैं।​—1 शमू. 1:27; 2:1, 2.

8. यहोवा खे धन्यवाद करण जा कुछ कारण ॿुधायो. (1 थिस्सलुनीकियों 5:18)

8 यहोवा का धन्यवाद कीजिए। हमारे पास यहोवा का धन्यवाद करने की बहुत-सी वजह हैं। (1 थिस्सलुनीकियों 5:18 पढ़िए।) हम सोच सकते हैं कि हमारे पास कौन-सी अच्छी चीज़ें हैं और उनके लिए यहोवा का धन्यवाद कर सकते हैं। आखिर हर अच्छा तोहफा उसी से तो मिलता है! (याकू. 1:17) जैसे हम इस खूबसूरत धरती और उसकी बनायी दूसरी लाजवाब चीज़ों के लिए उसका धन्यवाद कर सकते हैं। हम इस बात के लिए भी यहोवा का एहसान मान सकते हैं कि उसने हमें जीवन दिया है, एक परिवार और अच्छे दोस्त दिए हैं और भविष्य के लिए एक बढ़िया आशा दी है। यहोवा ने उसके साथ दोस्ती करने का हमें जो मौका दिया है, उसके लिए भी हम शुक्रिया कह सकते हैं।

9. असां खे पंहिंजे दिल में यहोवा जे लाइ कदर छो वधाइण घुरिजे?

9 हममें से हरेक को शायद थोड़ा समय निकालकर इस बारे में सोचना पड़े कि यहोवा ने हमारे लिए क्या-क्या किया है जिसके लिए हम उसका एहसान मान सकते हैं। आज इस दुनिया में देखें, तो ज़्यादातर लोग दूसरों का एहसान नहीं मानते। उनके पास जो कुछ है, उसकी कदर करने के बजाय उनका ध्यान सिर्फ इस बात पर रहता है कि उन्हें और क्या-क्या चाहिए और वे उसे कैसे पा सकते हैं। अगर हम सावधान ना रहें, तो हम भी उनकी तरह बन सकते हैं। फिर शायद हम प्रार्थना में यहोवा का धन्यवाद करने के बजाय सिर्फ उससे किसी-न-किसी बात की गुज़ारिश ही करते रहें। तो क्यों ना हम एहसानमंद होना सीखें और यहोवा ने हमारे लिए जो कुछ भी किया है, उसके लिए उसका धन्यवाद करें?​—लूका 6:45.

यहोवा के भले कामों के लिए उसका धन्यवाद करने से हम मुसीबतों में धीरज धर पाएँगे (पैराग्राफ 10)

10. अहसानमंद थियण सां हिक भेण मुश्‍किलुनि में बि धीरज कीअं धरे सघी? (तसवीर बि ॾिसो.)

10 जब हम छोटी-छोटी बातों के लिए भी एहसानमंद होते हैं, तो हम बड़ी-बड़ी मुश्‍किलों का भी डटकर सामना कर पाते हैं। ज़रा बहन क्यौंग सूक के उदाहरण पर ध्यान दीजिए, जिनके बारे में 15 जनवरी, 2015 की प्रहरीदुर्ग  में बताया गया था। डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि उन्हें फेफड़ों का कैंसर है और वह काफी बढ़ चुका है। वे कहती हैं, “जब मुझे अपनी बीमारी का पता चला, तो जैसे मेरे पैरों तले ज़मीन ही खिसक गयी। मुझे लगा जैसे मेरा सबकुछ उजड़ गया और मैं बहुत घबरा गयी।” इन मुश्‍किल हालात का वे कैसे सामना कर पायीं? वे कहती हैं कि हर रात सोने से पहले वे अपने घर की छत पर जाती थीं और ज़ोर-ज़ोर से यहोवा से प्रार्थना करती थीं। वे दिन-भर में हुई ऐसी पाँच बातों के लिए यहोवा को शुक्रिया कहती थीं जिनके लिए वे एहसानमंद थीं। इस तरह उनकी चिंता-परेशानी थोड़ी कम हो जाती थी और वे यहोवा के लिए अपना प्यार ज़ाहिर कर पाती थीं। उन्होंने देखा कि जब यहोवा के वफादार सेवक परीक्षाओं से गुज़रते हैं, तो वह उन्हें सँभालता है। उन्होंने यह भी महसूस किया कि हमारी ज़िंदगी में जितनी मुश्‍किलें आती हैं, उससे कहीं ज़्यादा यहोवा हमें आशीषें देता है। बहन क्यौंग सूक की तरह शायद हम भी किसी मुश्‍किल से गुज़र रहे हों। लेकिन तब भी ऐसी बहुत-सी बातें हो सकती हैं जिनके लिए हम यहोवा का एहसान मान सकते हैं। अगर हम यहोवा से प्रार्थना करके उसका धन्यवाद करें, तो हम मुश्‍किलों में भी धीरज धर पाएँगे और खुश रहेंगे।

11. यीशु जे स्वर्ग वञण खां पोइ हुन जे चेलनि खे छो हिमथ सां कम करणो हो?

11 प्रचार करने के लिए हिम्मत माँगिए। स्वर्ग जाने से पहले यीशु ने अपने चेलों को याद दिलाया कि उन्हें एक अहम ज़िम्मेदारी दी गयी है। उन्हें “यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, यहाँ तक कि दुनिया के सबसे दूर के इलाकों में” उसके बारे में गवाही देनी थी। (प्रेषि. 1:8; लूका 24:46-48) इसके कुछ ही समय बाद यहूदी धर्म गुरुओं ने पतरस और यूहन्‍ना को पकड़ लिया और उन्हें यहूदी महासभा के सामने ले गए। उन्होंने उनसे कहा कि वे प्रचार करना बंद कर दें, यहाँ तक कि उन्हें डराया-धमकाया भी। (प्रेषि. 4:18, 21) इस पर पतरस और यूहन्‍ना ने क्या किया?

12. प्रेषितों 4:29, 31 जे मुताबिक यीशु जे चेलनि छा कयो?

12 यहूदी धर्म गुरुओं की धमकियाँ सुनने के बाद पतरस और यूहन्‍ना ने कहा, “क्या परमेश्‍वर की नज़र में यह सही होगा कि हम उसकी बात मानने के बजाय तुम्हारी सुनें, तुम खुद फैसला करो। मगर जहाँ तक हमारी बात है, हम उन बातों के बारे में बोलना नहीं छोड़ सकते जो हमने देखी और सुनी हैं।” (प्रेषि. 4:19, 20) जब पतरस और यूहन्‍ना को रिहा कर दिया गया, तो उन्होंने यहोवा की मरज़ी पूरी करने के बारे में, ऊँची आवाज़ में उससे बिनती की, “अपने दासों की मदद कर कि वे पूरी तरह निडर होकर तेरा वचन सुनाते रहें।” सच्चे मन से की गयी उनकी प्रार्थना यहोवा ने सुनी।​—प्रेषितों 4:29, 31 पढ़िए।

13. असां भाउ जिन-हूक खां छा सिखूं था?

13 अगर सरकारी अधिकारी हमें प्रचार करने से मना करें, तो भी हम पहली सदी के चेलों की तरह प्रचार करते रहेंगे। ज़रा भाई जिन-हूक के उदाहरण पर ध्यान दीजिए, जिन्होंने सेना में भरती होने से इनकार कर दिया था। इस वजह से उन्हें जेल हो गयी थी। वहाँ उन्हें ऐसे कुछ कैदियों की देखरेख करने का काम दिया गया था जिन्हें अकेले कैद में रखा गया था। भाई को सख्त हिदायत दी गयी थी कि वे उन कैदियों से उनकी ज़रूरतों के अलावा और किसी बारे में बात ना करें, बाइबल के बारे में भी नहीं। भाई ने यहोवा से बिनती की कि वह उन्हें हिम्मत और बुद्धि दे, ताकि जब भी उन्हें मौका मिले, वे सोच-समझकर लोगों से सच्चाई के बारे में बात कर सकें। (प्रेषि. 5:29) भाई जिन-हूक कहते हैं, “यहोवा ने मेरी सुन ली। उसने मुझे हिम्मत और बुद्धि दी, जिस वजह से मैं कई बाइबल अध्ययन शुरू कर पाया। मैं उनकी कोठरी के दरवाज़े पर ही खड़े होकर पाँच-पाँच मिनट के लिए उनके साथ अध्ययन करता था। फिर रात को मैं उनके लिए चिट्ठियाँ लिखता था और अगले दिन उन्हें दे आता था।” भाई जिन-हूक की तरह हम भी यहोवा से हिम्मत और बुद्धि के लिए प्रार्थना कर सकते हैं और यकीन रख सकते हैं कि वह अपनी सेवा अच्छी तरह पूरी करने में हमारी मदद करेगा।

14. जॾहिं असां ते मुसीबत ईंदी आहे, त असां छा करे सघूं था? (भजन 37:3, 5)

14 मुसीबतों का सामना करने के लिए मदद माँगिए। हममें से कई लोग बीमार हैं या किसी और वजह से निराश हैं। हो सकता है, हमारे किसी अपने की मौत हो गयी हो, हमारे परिवार में कोई समस्या हो, हमारा विरोध किया जा रहा हो या हमें कोई और समस्या हो। ऊपर से महामारी और युद्ध की वजह से इन समस्याओं का सामना करना और मुश्‍किल हो गया है। तो दिल खोलकर यहोवा से बात कीजिए। ठीक जैसे आप किसी दोस्त को अपने दिल का हाल बताते हैं, यहोवा को बताइए कि आप पर क्या बीत रही है, आपको कैसा लग रहा है। फिर भरोसा रखिए कि वह आपकी “खातिर कदम उठाएगा।”​—भजन 37:3, 5 पढ़िए।

15. ’मुसीबतुनि में धीरज धरण’ जे लाइ प्रार्थना असां खे कीअं मदद कंदी? हिक उदाहरण ॾियो.

15 लगातार प्रार्थना करने से हम “मुसीबतों के वक्‍त में” धीरज धर पाएँगे। (रोमि. 12:12) यहोवा जानता है कि उसके सेवक किन हालात से गुज़र रहे हैं और “वह उनकी मदद की पुकार सुनता है।” (भज. 145:18, 19) उन्तीस साल की बहन क्रिस्टी ने भी इस बात का अनुभव किया। सबकुछ अच्छा चल रहा था और वे पायनियर सेवा कर रही थीं। फिर अचानक उनकी तबियत बहुत खराब हो गयी। इस वजह से बहन गहरी निराशा में डूब गयीं। बाद में डॉक्टरों ने बताया कि उनकी मम्मी को एक जानलेवा बीमारी हो गयी है। बहन क्रिस्टी कहती हैं, “मैं हर दिन गिड़गिड़ाकर यहोवा से प्रार्थना करती थी, उससे हिम्मत माँगती थी कि किसी तरह वह दिन कट जाए। मैं पूरी कोशिश करती थी कि एक भी सभा ना छूटे और मैं लगातार निजी अध्ययन भी करती रही।” वे यह भी कहती हैं, “कभी-कभी ऐसा लगता था कि मुझसे और बरदाश्‍त नहीं हो पाएगा, तब प्रार्थना करने से मुझे बहुत हिम्मत मिलती थी। मैं जानती थी कि यहोवा हर पल मेरे साथ है। इस बारे में सोचकर ही मुझे बहुत दिलासा मिलता था। हालाँकि मेरी तबियत तुरंत ठीक तो नहीं हुई, लेकिन यहोवा ने मेरी प्रार्थनाएँ सुनीं और मुझे मन की शांति और सुकून दिया।” तो आइए हम हमेशा याद रखें, ‘यहोवा जानता है कि जो उसकी भक्‍ति करते हैं उन्हें परीक्षा से कैसे निकालना है।’​—2 पत. 2:9.

बुरी इच्छाओं से लड़ने के लिए (1) यहोवा से मदद माँगिए, (2) अपनी प्रार्थनाओं के मुताबिक कदम उठाइए और (3) यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता मज़बूत कीजिए (पैराग्राफ 16-17)

16. गलत इच्छाउनि ते काबू पाइण जे लाइ असां खे यहोवा जी मदद छो खपे?

16 गलत इच्छाओं पर काबू पाने के लिए मदद माँगिए। हम सब अपरिपूर्ण हैं, इसलिए हमें हमेशा गलत काम करने की इच्छाओं से लड़ना पड़ता है। ऊपर से शैतान हमारी सोच भ्रष्ट करने की कोशिश करता है, जिस वजह से हमारी यह लड़ाई और भी मुश्‍किल हो जाती है। और कई बार वह मनोरंजन के ज़रिए ऐसा करता है। अगर हम ऐसा मनोरंजन करें जिसमें अनैतिक काम दिखाए गए हों, तो हमारा मन बुरी बातों से भर जाएगा। इससे हम यहोवा की नज़र में अशुद्ध हो जाएँगे और शायद कोई बड़ा पाप भी कर बैठें।​—मर. 7:21-23; याकू. 1:14, 15.

17. असां जे मन में बुरी इच्छाऊं न अचन, इन जे लाइ यहोवा खे प्रार्थना करण सां गॾु ॿियो छा करण घुरिजे? (तसवीर बि ॾिसो.)

17 अगर हम बुरे काम करने की इच्छाओं से लड़ना चाहते हैं, तो हमें सच में यहोवा की मदद चाहिए। जब यीशु अपने चेलों को प्रार्थना करना सिखा रहा था, तो उसने उनसे इस बारे में बिनती करने के लिए भी कहा, “जब हम पर परीक्षा आए तो हमें गिरने न दे, मगर हमें शैतान से बचा।” (मत्ती 6:13) यहोवा तो हमारी मदद करना चाहता है, पर हमारा भी फर्ज़ बनता है कि हम उससे प्रार्थना करके मदद माँगें। फिर हमें उसके मुताबिक काम भी करना होगा। हमें पूरी कोशिश करनी चाहिए कि हम ऐसा मनोरंजन ना करें जिससे हमारा मन बुरी बातों से भर जाए, ऐसी बातों से जिन्हें शैतान की दुनिया गलत नहीं मानती। (भज. 97:10) हम और क्या कर सकते हैं? हम बाइबल पढ़कर और उसका अध्ययन करके अपने मन में अच्छी बातें भर सकते हैं। सभाओं में जाने से और प्रचार करने से भी हमारा मन अच्छी बातों पर लगा रहेगा। यहोवा हमसे वादा करता है कि अगर हम ऐसा करें, तो वह हमें ऐसी किसी भी परीक्षा में नहीं पड़ने देगा जो हमारी बरदाश्‍त के बाहर हो।​—1 कुरिं. 10:12, 13.

18. प्रार्थना करण जे बारे में असां छा ध्यान रखे सघूं था?

18 मुश्‍किलों से भरे इन आखिरी दिनों में हममें से हरेक को और भी ज़्यादा प्रार्थना करने की ज़रूरत है, तभी हम यहोवा के वफादार रह पाएँगे। यहोवा भी चाहता है कि हम ‘उसके आगे अपना दिल खोलकर रख दें।’ (भज. 62:8) तो हर दिन उससे प्रार्थना करने के लिए समय तय कीजिए। यहोवा की तारीफ कीजिए और उसने आपके लिए जो कुछ किया है, उसके लिए उसका धन्यवाद कीजिए। प्रचार करने के लिए हिम्मत माँगिए। यहोवा से बिनती कीजिए कि वह मुश्‍किलों का सामना करने और बुरी इच्छाओं पर काबू पाने में आपकी मदद करे। ठान लीजिए कि कोई भी बात या कोई भी इंसान आपको यहोवा से प्रार्थना करने से रोक ना पाए। और यकीन रखिए कि वह आपकी प्रार्थनाओं का जवाब ज़रूर देगा। वह यह कैसे करता है? इस बारे में हम अगले लेख में जानेंगे।

गीत 42 यहोवा के सेवकों की प्रार्थना

a हम सब चाहते हैं कि हमारी प्रार्थनाएँ ऐसे खत की तरह हों जो हम बड़े प्यार से अपने किसी दोस्त को लिखते हैं। लेकिन कई बार हमें प्रार्थना करने के लिए वक्‍त निकालना मुश्‍किल लग सकता है या शायद हमें समझ में ना आए कि हम किस बारे में प्रार्थना करें। इस लेख में इन दोनों अहम मुद्दों पर चर्चा करेंगे।